वन सेवा अधिकारियों का पुनश्चर्या प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

जोधपुर। मरू क्षेत्र की पारिस्थितिकी में इन्दिरा गांधी नहर एवं वनीकरण के प्रयासों से बदलाव आया है तथा मरू क्षेत्र में हरियाली बढ़ी है। आज की आवश्यकता है कि हम लोगों में जनजागृति लाकर क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित एवं संवर्धित करें। यह उद्गार शुष्क वन अनुसंधान संस्थान में भारतीय वन सेवा अधिकारियों के पुनश्चर्या कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में असम के सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हैड ऑफ फोरेस्ट) एनके वासु ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। वासु ने अपने आसाम के वन्यजीव निरक्षण प्रयासों के बारे में बताते हुए वर्तमान में राजस्थान में गोडावण संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों एवं इनके संरक्षण संवर्धन मेें आ रही चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार गोडावण के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रही है।कार्यक्रम के आरम्भ में आफरी निदेशक एमआर बालोच ने भारतीय वन सेवा अधिकारियों का स्वागत करते हुए शुष्क क्षेत्र की पारिस्थितिकी एवं वानिकी कार्यों के बारे में बताते हुए यहांकिए जा रहे शोध कार्यों के बारे में जानकारी दी। कोर्स समन्वयक डॉ. यूके तोमर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। मिजोरम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन सचिव अजय सक्सेना ने अपने मरू क्षेत्र के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने भरतपुर घना अभयारण्य एवं अन्य क्षेत्रों में अपने पूर्व अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि मरू क्षेत्र की पारिस्थितिकी में तेजी से बदलाव आया है। मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय प्रसाद रियाल ने बताया कि मरू क्षेत्र का पारितंत्र एक अलग ही पहचान रखता है तथा इस प्रकार के प्रशिक्षण से मरू क्षेत्र को नजदीक से जानने का मौका मिलता है। आफरी के समूह समन्वयक (शोध) डॉ. इन्द्रदेव आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि संचालन डॉ. तरूणकांत ने किया।तकनीकी सत्र में डॉ. इन्द्रदेव आर्य ने आफरी द्वारा शुष्क एवं अद्र्धशुष्क क्षेत्रों में किए जा रहे शोध कार्यों की जानकारी दी जबकि काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीसी मोहराना ने मरूस्थलीकरण रोकने हेतु प्राकृतिक संसाधनों को समझने पर व्याख्यान दिया। आफरी के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. सीजेएसके इमेनुएल ने वन वृक्षों के विकास एवं वनीकरण में इनकी उपयोगिता पर, डॉ. यूके तोमर ने गुग्गुल एक महत्वपूर्ण औषधीय पादप पर शोध कार्यों की जानकारी दी जबकि काजरी के डॉ. एमके गौड़ ने फोरेस्ट कवर मेपिंग एवं इसकी उपयोगिता पर जानकारी दी।

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