साल में सिर्फ एक बार दोपहर में क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती, जानें इसका कारण

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। यहां महाशिवरात्रि, सावन के मौके पर शिव भक्तों की भारी भीड़ होती है। महाकाल में भस्म आरती बहुत ही मुख्य श्रृंगार व आरती है जिसके दर्शन के लिये दूर-दूर से श्रृद्धालु आते हैं। भस्म आरती प्रतिदिन तड़के चार बजे की जाती है, लेकिन साल में सिर्फ एक दिन होता है जब महाकाल की भस्म आरती का समय तड़के चार बजे से बदलकर दोपहर 12 बजे की जाती है। इस दिन महाकाल मंदिर में लाखों की संख्या में श्रृद्धालु दर्शन के लिये पहुंचते हैं। लेकिन इसके पीछे क्या कारण है आइए जानते हैं… साल में सिर्फ एक बार दोपहर में क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती, जानें इसका कारण दरअसल, महाशिवरत्रि के पर्व से पहले ही शिव विवाह की हर रस्मों की शुरुआत हो जाती है और नौं दिनों तक बाबा महाकाल का अलग-अलग रूपों में श्रंगार किया जाता है। इन श्रृंगारों का मुख्य उद्देश्य उन्हें दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। वहीं सभी रम्में महाकाल मंदिर में विधिवत निभाई जाती है। वहीं शिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और शिवरात्रि को रात के समय भी महाकाल की पूजा व भजन किर्तन चलते हैं। साल में सिर्फ एक बार दोपहर में क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती, जानें इसका कारण महाकाल बाबा को दूल्हे के रुप में सजाया जाता है और लाखों की संख्या में भक्त उनके बाराती बनकर आशीर्वाद प्राप्त करते है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में साल में एक ही बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भगवान महाकाल को महाकाल को दूल्हे के रूप में सवा क्विंटल फूलों से बने फूलों के मुकुट (सेहरा) धारण कराया जाता है। महाकाल बाबा को सवा मन फूलों-फलों का पुष्प मुकुट बांधकर सोने के कुण्डल, छत्र व मोरपंख, सोने के त्रिपुण्ड से सजाया जाता है। इसके बाद सेहरा दर्शन, पारणा दिवस मनाया जाता है। भगवान महाकाल के आंगन में शिव विवाह की सभी रस्मों का आयोजन किया जाता है और पूर्ण होने के बाद भस्म आरती तड़के 4 बजे के बजाए दोपहर 12 बजे की जाती है। मनाया जाता है शिव नवरात्रि महोत्सव… इस श्रंगार का मुख्य उद्देश्य बाबा को दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। जिस प्रकार शादी से पहले दूल्हे को तैयार किया जाता है। उसी प्रकार कि रस्में बाबा महाकाल के साथ निभाई जाती हैं। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को दूध, दही, घी से पंचामृत स्नान कराया गया, तत्पश्चात चन्दन, इत्र व केसर सहित सुगन्धित द्रव्यों से लेपन किया जाता है। इसके बाद बाबा महाकाल की भस्मारती शुरू की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button