अनासक्ति की साधना है : खाद्य संयम

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा : पर्युषण पर्व का प्रथम दिवस


जोधपुर। महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री रतिप्रभाजी के सानिध्य में पर्युषण पर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस के रूप में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री ने मंत्रोचार से साथ किया। साध्वी श्री रतिप्रभा ने विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा पर्युषण पर्व पुरुषार्थ का पर्व है, आत्म जगत में फिर से नई क्रांति उत्पन्न करने और इंद्रिय भोगो पर त्याग का अंकुश लगाना है। इन आठ दिनों में हम पूर्ण जागरूक रहकर पूरे वर्ष भर का कर सार खींच लें।

आठों दिनों को अलग-अलग दिवसों के द्वारा विभाजित किया गया जिसमें प्रथम दिवस खाद्य संयम के रूप में विशेष रूप से मानना है। खाना हमारे लिए हितकर, कर्मभेदन वाला हो, संयम की साधना में आहार कैसे सहायक बने उस प्रकार का हमारा भोजन हो। पांच इंद्रियों में सबसे ज्यादा जितना मुश्किल है रसेन्द्रिय को। अगर जिव्हा पर संयम है तो व्यक्ति स्वस्थ मस्त रहेगा और महानिर्जरा का भागी भी बन सकता है। इसके साथ ही साध्वी श्री ने श्रद्धालुओं को आगम वाणी से सरोबार करते हुए उपासक आगम के आधार पर श्रावक आनंद के जीवन को बहुत सुंदर ढंग से वर्णित किया तथा श्रावक की 12 प्रतिमाओं की चर्चा की।
साध्वी श्री कमलप्रभा जी ने नव परंपरा से गुजरते भगवान महावीर की नयसार के भय का वर्णन किया तथा खाद्य संयम पर प्रकाश डाला। साध्वी मनोज्ञयशा एवं पवनयशा ने आत्मा रो बोध करावण, इस सुमधुर स्वर लहरी से पर्युषण पर्व की प्रेरणा तथा महत्व बताया। तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष कमल सुराणा ने खाने का संयम अपनाएं, इस गीत का संगान किया। रात्रि में विशाल समूह के साथ प्रतिक्रमण और ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तर के साथ बुद्धि का परीक्षण किया गया। कार्यक्रम संघ प्रभावक रहा एवं ज्ञान बढ़ाने वाला था।

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