रिफ रसल में थिरके देशी व विदेशी पावणे

महेश विनायकराम के दिलकश संगीत, कालबेलिया कलाकार आशा सपेरा के घूमर नृत्य व लंगा व मांगणियार कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने मन मोहा

सोमवार प्रातः जसवंत थड़ा पर कबीर व निर्गुणी भजनों के साथ जोधपुर रिफ के 16वें संस्करण का होगा समापन

जोधपुर। रविवार को जोधपुर रिफ के चौथे दिन विभिन्न कार्यक्रम हुए। जसवन्तथड़ा पर 5.30 बजे प्रातःकालीन समारोह में रिफ डॉन के तहत महेश विनायकराम के मधुर संगीत के साथ चौथे दिन का आगाज हुआ। उन्होंने अपनी प्रतिभाशाली व मखमली मधुर सूर लहरी सेे प्रातःकालीन वातावरण को कर्णप्रिय संगीत से मंत्रमुग्ध कर दिया।

रिफ डॉन – प्रातः 5ः30 बजे जसवंत थड़ा पर महेश विनायकराम के दिलकश संगीत के साथ भोर की शुरुआत हुई। पूर्ण लय व ताल के साथ संगीत की प्रस्तुति देकर उन्होंने भारत के प्राचीन व वैश्विक संगीत से आमजन का परिचय कराया। संगीत से जुड़े गौरवशाली वंश के यूनेस्को मिलेनियम पुरस्कार विजेता महेश विनायकराम जो स्वयं घाटम के देवता कहलाए जाने वाले प्रसिद्ध संगीतज्ञ विक्कू विनायकराम के पुत्र हैं। घाटम मिट्टी से बने घड़ेनुमा वाद्य यंत्र है।

डांस बूट कैम्प (द्वितीय) – प्रातः 9ः00 बजे चौखेलाव बाग में रिफ डांस बूटकेम्प द्वितीय की शुरुआत घूमर सेशन के साथ आरम्भ हुआ। प्रसिद्ध कालबेलिया डांसर आशा सपेरा ने शानदार घूमर नृत्य की जीवंत प्रस्तुति दी। जैसा कि नाम से ही विदित है, घूमर नृत्य के दौरान नृतक विभिन्न भाव-भंगिमाओं में गोल घूमते हुए नृत्य की प्रस्तुति देते हैं जो बेहद ही आकर्षक व दर्शनीय होता है।

फोर्ट फेस्टिविटिज- प्रातः 10 से सांय 5 बजे के मध्य किले के शृंगार चौक, होली चौक, दौलतखाना चौक में मेहरानगढ़ आने वाले पर्यटकों के समक्ष लंगा, मांगणियार व कालबेलिया कलाकारों ने अपने गायन व नृत्य के द्वारा उपस्थित दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर किया। पारम्परिक राजस्थानी चंग नृत्य में नृतक चंग पर थाप लगाते हुए एवं विभिन्न मुद्राओं में नृत्य करते हैं, तेरह ताली नृत्य, जिसमें नृतक तेरह मजीरों को अपने शरीर पर विभिन्न जगहों, कलाई, कमर, बांह इत्यादि पर बांधकर पूर्ण पारंगतता व लयबद्ध तरीके बजाते हुए अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करते हैं। राजस्थान के कुछ भागों विशेषकर मेवात इलाके में लोकप्रिय मसक वाद्य यंत्र जो कि एक थैलेनुमा बना होता है एवं जिसमें पाईप लगे होते हैं, जिनसे बहुत ही मधुर संगीत निकलता है, कलाकारों ने आकर्षक लोक संस्कृति की प्रस्तुति से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। डेरू नृत्य की ढोल थाली पर पारम्परिक प्रस्तुति से दर्शकों को ध्यान अपनी ओर खींचते हुए नृत्य व संगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत डेरू व गैर नृत्य ने भी उपस्थित दर्शकों का खासा दिलचस्प मनोरंजन किया।

इंडी रूट्स (द्वितीय) चौखेलाव बाग में सांय 4.30 बजे चोखेलाव बाग में कलाकार तथा प्रकाशक नवदीप सूरी के साथ हरप्रीत की खूनी वैसाखी की मनमोहक प्रस्तुति उन भावनाओं को जीवंत कर देती है, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है, जिन्होंने एक राष्ट्र के रूप में भारत के इतिहास को आकार दिया। मानवतावादी और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कविता की संगीतमय प्रस्तुतियों के लिए प्रशंसित, हरप्रीत की कला दोनों दुनियाओं के सर्वश्रेष्ठ का एक अलौकिक मिश्रण है। खूनी वैसाखी मूल रूप से 1919 में कवि नानक सिंह द्वारा भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के सबसे काले अध्यायों में से एक पर आधारित लिखी गई थी। कवि, तब 22, जलियांवाला बाग नरसंहार में थे, जहां अंग्रेजों ने वसंत उत्सव वैसाखी मनाने के लिए एकत्र हुए सैकड़ों निर्दाेष लोगों पर गोलियां चला दी थीं। नानक सिंह बमुश्किल अपनी जान बचाकर भागे, लाशों के साथ बेहोश होकर चले गए और कहानी सुनाने के लिए जीवित रहे। आज, 100 से अधिक वर्षों के बाद, हरप्रीत की आवाज़ में इस शक्तिशाली कविता को जीवंत होते देखना एक ऐसा अनुभव रहा जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।

लिविंग लीजेंड्स- चोखेलाव बाग पर आयोजित कार्यक्रम में लंगा समुदाय के अग्रणी बुंदू खां व बडे़ गाजी खां मांगणियार ने मंच साझा किया। खरताल वादक बंुदू खां, जिन्हें इंग्लैण्ड की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने ‘कोहिनूर‘ उपनाम दिया, ने अपने पुत्र जाकिर व सहकर्मी भंवरू के साथ मंच साझा कर बेहतरीन प्रस्तुति देते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारम्परिक वाद्य यत्रों के प्रति उनका जुनून देखते ही बनता है। बाड़मेर के हरवा गांव के निवासी व मारवाड़ रत्न सम्मान से सम्मानित बड़े गाजी खां भी बड़े प्रशंसित गायक हैं। अपनी भावपूर्ण आवाज़ और सोरथ और खमैती में विभिन्न पारंपरिक रचनाओं में निपुणता ने उन्हें बहुत सम्मान और पहचान दिलाई है।

इनसाइट्स- सांय 7.30 बजे ओल्ड जनाना कोर्टयार्ड में आयोजित इनसाइट्स में विक्कू विनायकराम, सेल्वा गणेश, महेश विनायकराम, स्वामीनाथन, गुरुप्रसाद व गुरु प्रिया द्वारा ‘परम्परा‘ की प्रस्तुति, लंगा तथा मांगणियार कलाकारों द्वारा सामूहिक खरताल व अखाडाल की प्रस्तुति, विदेशी कलाकार मिरोका पेरिस द्वारा अफ्रो ग्रूव्स की प्रस्तुति हुई। राजस्थान के कुछ सर्वश्रेष्ठ लंगा व मांगणियार युवा लोक खरताल वादकों का प्रदर्शन बेहद रोचक रहा। अन्य प्रस्तुति में कूल डेजर्ट प्रोजेक्ट में साज गु्रप ने अपनी प्रस्तुति दी।

रिफ रसल – अन्तिम प्रस्तुति ओल्ड जनाना कोर्टयार्ड में हुई जिसके तहत रिफ रसल के रूप में हुई। हर साल, उत्सव एक संगीतकार को ‘रस्टलर‘ के रूप में नियुक्त करता है, जो फिर उत्सव के अन्य संगीतकारों को जोड़ियों या चौकड़ी में या सभी को एक साथ इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है। लय और ताल में पिछले 40 वर्षों से अनवरत समर्पित ग्रेग शीहान, मिरोका पेरिस, मशहूर तालवादक और संगीतकार जो लय से ऊपर तक अपना संगीत तैयार करते हैं तथा रिस सबेस्टियन ने संयुक्त रूप से अपनी कला का बेमिशाल प्रदर्शन कर रात्रि की अन्तिम प्रस्तुति को अविस्मरणीय बना दिया।

सोमवार सुबह जसवंत थड़ा पर कबीर, बूलेशाह व निर्गुणी भजनों के साथ होगा समापन: जसवन्तथड़ा पर प्रातः 5.30 बजे रिफ डॉन के तहत हरप्रीत तथा शर्मा बन्धुओं द्वारा कबीर, बुलेशाह व अन्य निर्गुणी कविता तथा भजन गायन के साथ जोधपुर रिफ के सोलहवें संस्करण का समापन होगा।

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