पंछियों की उड़ान को लगा ग्रहण, अब तक 12 हजार पक्षी दफनाए
जयपुर। खारे पानी की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में पक्षियों की मौत का मंजर थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को 4132 पक्षी मृत व 120 पक्षी बीमार मिले। bird killed in sambhar lake सांभर झील क्षेत्र में छह दिन में 12 हजार से अधिक पक्षी दफनाए जा चुके है।
1393 पक्षी मृत व 120 पक्षी बीमार मिले…
शनिवार को रेस्क्यू टीम ने रतन तालाब और शाकम्भरी माता मंदिर क्षेत्र से 1393 पक्षी मृत व 120 पक्षी बीमार मिले। वहीं नावां क्षेत्र में रेस्क्यू टीम ने मोहनपुरा, सांभर साल्ट क्षेत्र, खाखड़की व गुढ़ा साल्ट क्षेत्र रेस्क्यू किए। जहां 2739 पक्षी मृत मिले। यहां लगातार संख्या में इजाफा हो रहा है। bird killed in sambhar lake इसके बावजूद भी दोनों विभागों के बड़े अफसर, कलक्टर आदि अभी तक यहां स्थिति देखने भी नहीं पहुंचे। दो दिन पूर्व उन्होंने के वल झपोक, रतन तालाब व शाकम्भरी माता मंदिर क्षेत्र का दौरा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। इधर, रविवार को झील क्षेत्र के रतन तालाब पर एक अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा।
बरेली से रिपोर्ट आने का इंतजार…
रिपोर्ट का इंतजार में दोनों विभाग इधर, वन विभाग और पशुपालन विभाग बर्ड फ्लू की नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद आइवीआरआइ बरेली से रिपोर्ट आने के इंतजार में है। शुक्रवार को वहां सैम्पल भेजे गए थे। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही मौेके पर आए अन्य पक्षी विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। स्वस्थ हो रहे पक्षी, उडऩे को तैयार आफत के बीच राहत की खबर है कि काचरोदा नर्सरी में रेस्क्यू के दौरान आए 220 पक्षी अभी तक स्वस्थ हालत में है। वन्यजीव चिकित्सक के अनुसार कई पक्षियों को वहां बनाए गए पौण्ड में डाल दिया गया है। जहां वे आराम से तैर रहे है। दो-तीन दिन बाद पूर्व स्वस्थ्य होते ही उड़ा दिया जाएगा।
झील से मृत पक्षियों को निकाल रही टीम…
सिविल डिफेंस तथा एसडीआरएफ की टीमें लगा दी गई हैं जो सांभर झील से मृत पक्षियों को निकाल रही हैं। दोनों टीमों ने झील के गहरे पानी में जाकर मृत पक्षियों को निकाला और एसडीआरफ की टीम ने झील में नाव लगा से कई किलोमीटर तक जाकर मरे पक्षी निकाले। करीब छह दर्जन से अधिक लोग इस काम में जुटे हुए हैं। वहीं सांभर झील में रतन तालाब के पास सांभर साल्ट प्रशासन ने अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाया गया लेकिन शाम तक वहां पर एक भी पक्षी को नहीं रखा गया जो भी जिंदा पक्षी मिले उन्हें काचरोदा नर्सरी में ही भेजा गया।