सामाजिक क्रांति की पूर्णता के लिए ब्रह्मज्ञान होना जरूरी

जोधपुर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मासिक सत्संग समागम का आयोजन पांचवा चौपासनी रोड पुलिया स्थित चौधरी भवन में किया गया जिसमें आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी प्रवीणा भारती ने अध्यात्म और समाज के सम्बन्ध में प्रकाश डालते हुए वर्तमान की समस्याओं से निजात पाने का तरीका बताया। साध्वी प्रवीणा भारती ने कहा कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एक आध्यात्मिक और सामाजिक अभियान है जो विश्व शांति के लिए कार्यरत है, लेकिन इस अभियान का आधार ब्रह्मज्ञान है, आत्मिक जाग्रति है। ब्रह्मज्ञान के बिना कोई भी सामाजिक क्रांति पूर्ण नहीं हो सकती। साध्वी ने कहा कि भगवान कृष्ण गीता मेंं कहते है कि उनके अन्दर जो भी गुण है, जो भी श्रेष्ठ है वो मेरे ही तेज का अंश है, और वो भगवान की सेवा में अर्पित करना ही उनकी सच्ची सेवा होगी। साध्वी ने कहा कि संस्थान के अपने कुल नौ सामाजिक प्रकल्प है जिसके माध्यम से वह समाज की हर कुरीति पर कुठाराघात कर रहा है। इन प्रकल्पों में सर्वप्रथम कामधेनु गौशाला है जो भारतीय गौवंश का संरक्षण, संवर्धन एवं नस्ल सुधार कार्यक्रम है। इसके पश्चात समाज की सबसे ज्वलंत समस्या नशे के खिलाफ नशा उन्मूलन कार्यक्रम बोध चल रहा है। तीसरा प्रकल्प मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र समाज के उस वर्ग के बच्चों के लिए है जो कला, उत्साह और उमंगो से भरे है, लेकिन अर्थ के आभाव में अपने विकास के सभी मार्गो से वंचित है संस्थान उनके लिए सम्पूर्ण विकास का कार्यं कर रहा है। चौथा प्रकल्प संरक्षण पर्यावरण को समर्पित है। पांचवां प्रकल्प अंतर्दृष्टि नेत्रहीन और विकलांगो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यरत है। इसके बाद जेल में कैद कैदियों के सुधार हेतु अंतरक्रांति नाम से देश की कुल 30 से भी अधिक जेलों में संस्थान कार्य कर रहा है। सांतवा प्रकल्प संतुलन लिंग समानता कार्यक्रम है। आंठवा प्रकल्प आरोग्य संपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम है जिसके तहत विभिन्न स्थानों पर नि:शुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा परामर्श शिविर, योग शिविर आदि लगाए जाते है। अंत में समाधान नामक प्रकल्प आपदा राहत कार्यक्रम है। इन सभी प्रकल्पों का आधार ब्रह्मज्ञान है जिसके माध्यम से मनुष्य आत्म साक्षात्कार कर अपनी संकीर्ण सोच के दायरे से बाहर निकल अपनी शक्तियों का बोध करता है और समाज निर्माण में अपना योगदान देता है।

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