सभी वेदों का सार महाभारत में: गोविंददेव महाराज
जोधपुर। माहेश्वरी जनोपयोगी भवन में चल रही सात दिवसीय महाभारत संदेश कथा के छठे दिन संत स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने कहा कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरूषार्थो का संपूर्ण मार्गदर्शन महाभारत में मिलता है वैस अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। सभी वेदों का सार महाभारत में समाहित है जिसे पंचम वेद कहा जाता है।प्रवक्ता भंवरलाल बाहेती ने बताया कि महाराज ने कथा को आगे बढाते हुए कहा कि कृष्ण भगवान को सदा याद करो न जाने तब किस रूप में आपके समक्ष प्रकट होकर आपका काम पूर्ण कर सकते है। गीता में वचन दिया तुम्हारा काम मुझमें मन लगाना है मेरा काम है तुम्हारे काम को पूरा करना। घर आये अतिथियों को भोजन नहीं कराने पर गृहणी का पुण्य क्षीण हो जाता है, गृहिणी लक्ष्मी का स्वरूप होती है।श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महाराज ने कहा महाभारत हमें नीति, भागवत भक्ति सिखाती है। सुख व दुख आते जाते रहते है उनसे अति साक्षी रहकर देखना सीखो, सदैव प्रसन्न रहो। वैदिक ज्ञान, संस्कृति एवं जीवन दृष्टि से राष्ट्र को महानता के शिखर तक पहुंचाना ही उद्देश्य है। अपने आध्यात्मिक ज्ञान, आदर्श चरित्र एवं विश्व कल्याण की मंगल भावना से ही भारत आज विश्व गुरू के नाम से जाना जाता है।कथा को आगे बढाते हुए उन्होंने कहा मनुष्य अपने जीवन में महान कैसे होता है, संसार में बडा वही होता है, जिसने तप, त्याग, ध्यान, अचौर्य, ब्रह्मचर्य आदि का पालन किया है। मान-अपमान, अनुकूल-प्रतिकूल, सुख-दुख आदि सहन करने ही व्यक्ति महान बनता है। हमारे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को देश भुला नही सकता। जो अपने वृद्धजनों की सेवा करता है वह भी महान व शक्तिशाली कहलाता है। उन्होंने कहा संसार में कीर्ति यश उसकी होती है जिसने गुप्त दान दिया। उन्होनें गौरांग प्रसंग को बताते हुए कहा कि गौरांग महाप्रभु ने भगवत प्रेम का दान किया। भगवान के प्रेम दान से जन्म जन्मांतर की पूर्ति होती है, सत्य से जीवन पालन करने से स्वर्ग के द्वार खुल जाते है। सबसे बडा लाभ आरोग्य, उत्तम स्वास्थ्य व दान है। प्रिय वही होता है जिसके प्रति अहंकार, अभिमान नहीं होता, धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। धर्म से सभी देवता अनुकूल हो जाते है।कथा के प्रांरभ में मोहनलाल सोनी, भंवरलाल सोनी, दामोदर बंग, चेतन सोनी, भंवरलाल बाहेती, श्रीमती मधुसुदन, शांति सोनी, गीता सोनी, प्रेमसुख, अपूर्व वर्दा, दौलत राठी, गिरीश सोनी व मुकनचंद सोनी ने व्यास पीठ की आरती की।इस अवसर ओमप्रकाश मर्दा, बाबूलाल उपाध्याय, गोविंद दाधीच, भंवरलाल ओझा, सत्यनारायण राठी, नरेंद्र अवस्थी, रमेश जैन, श्रीमती वीणा मर्दा, श्रीमती कल्पना मर्दा, मुरली सोनी, बंकटलाल सोनी, मोहनलाल हरकुट सहित बडी संख्या में भक्तजनों ने भाग लिया।