हंसते-खेलते बच्चों को कमाने ले गए थे मानव तस्कर, घरवालों को उनकी लाशें-तस्वीरें ही मिलीं
उदयपुर।(डूंगरपुर) मानव तस्करी के कई चेहरे हैं, लेकिन सबसे दर्दनाक चेहरे से आज हम नकाब हटा रहे हैं। दैनिक भास्कर ने उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिले के कई गांवों में जाकर जाना कि कैसे मानव तस्कर जीवन से खेल रहे हैं। ऐसे कई गांव हैं जहां तस्कर हंसते-खेलते बच्चों को कमाने के लिए अपने साथ ले गए थे, लेकिन वे लौटकर नहीं आए। गरीब आदिवासी परिवारों के इन बच्चों में से कोई लौटा भी तो कफन में लिपटा हुआ। कई की लाश भी नहीं मिली। कुछ बचा है तो सिर्फ इनकी तस्वीरें। इन बच्चों की बाट जोहते सैकड़ों बूढ़े मां-बाप की आंखें इंतजार में पथरा गई हैं। एनसीआरबी के आकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर साल 6-7 हजार बच्चे और महिलाएं गायब होते हैं। अकेले उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा में यह आंकड़ा 3 हजार के करीब है। मानव तस्करों के चंगुल में फंसकर ये जाते हैं लेकिन लौटकर नहीं आते।