ईश्वर से एकाकार होना ही मुक्ति का मार्ग है: कृष्ण मुरारी
जोधपुर। दुर्गा पार्क विकास समिति और कृष्णमुरारी प्रेम परिवार की तरफ से चल रही भागवत कथा में रास महालीला का वर्णन करते हुए कृष्ण मुरारी महाराज ने कहा कि ईश्वर से एकाकार होना ही मुक्ति का मार्ग है। गोपी विरह में अक्रूर गोपियों को समझाते हैं कि ईश्वर कहीं गया नही है, अपने हृदय में झांको और प्रतिपल उसकी उपस्थिति को महसूस करना सीखना है। गोपी विरह के मार्मिक प्रसंग से पूरा पांडाल भावुक हो उठा।
उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। माता-पिता को बच्चों की धन दौलत आदि कुछ नहीं चाहिए उन्हें आपके समय में से थोड़ा सा समय चाहिए। आज रूकमणी विवाह का अति सुंदर प्रसंग सजीव झांकी सहित सजाया गया। कथा में भागवताचार्य राधेश्याम ओझा की विशेष उपस्थिति रही। ललित सत्यानी, राधेश्याम पुरोहित, कन्हयालाल पंजाबी, सुरेश गंगवानी, ओमजी थानवी, रमेश राठी, रमेश थानवी, सुनील पुरोहित, रमेश पुरोहित, हरिगोपाल व्यास आदि की भागीदारी रही। मुख्य प्रसाद की व्यवस्था सतीश व्यास, रमेश मंजू राठी की थी। महेश अग्रवाल विशेष रोइप से नाथद्वारा से श्रीनाथजी का प्रसाद लेकर आये और भक्तों में वितरण किया। कार्यक्रम संचालन नटवर थानवी ने किया।