कथा अमृत का पान करने से सम्पूर्ण पापों का नाश होता है : श्रद्धेय सुनीलजी महाराज
- भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद भागवत भक्ति ज्ञान यज्ञ शुरु
(मगराज कच्छवाहा)
जोधपुर। श्रीमती राम कंवरी कच्छवाहा धर्मपत्नी स्व. श्री जेठूराम जी कच्छवाह, धर्माथ सेवा संस्थान रजि. व श्री सालासर बालाजी प्रचार एवं सेवा समिति रजि., किसान नर्सरी कच्छवाह परिवार के संयुक्त तत्वावधान में रॉयल्टी नाका के पास प्रताप नगर में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ सुबह मंगल कलशयात्रा एवं विशाल शोभायात्रा के साथ किया गया।
आयोजक प्रभुलाल कच्छवाहा व मगराज कच्छवाहा ने जानकारी देते हुए बताया कि कलश यात्रा का शुभारम्भ कायालाना चौराहा स्थिति बाबा रामदेव मन्दिर से आरंभ होकर कथा स्थल प्रभुतेश्वर महादेव मन्दिर, रॉयल्टी नाका, प्रतापनगर कथा स्थल पर सम्पन्न हुई। इस कलश यात्रा में सौभाग्यवती महिलाएं सिर पर कलश उठाये कतारबद्ध और अनुसाशित होकर चल रहे थे और मन में समस्त जीव-प्राणियों के मंगल कामना करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस कलशयात्रा के साथ साथ विशाल शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया। शोभायात्रा में बैण्ड बाजों के साथ, भागवत गीता व भगवान ठाकुर जी मूर्ति सर पर उठाए समिति के सदस्यों एवं यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के उत्साहपूर्ण जयकारों एवं सुमधुर व कर्णप्रिय भजनों से गुंजायमान हो गया। इस कलश यात्रा का शुभारंभ पूज्य श्रद्धेय श्री सुनीलजी महाराज व प्रभुलाल कच्छवाहा, ताराचन्द कच्छवाह, मगराज कच्छवाह, पन्नालाल कच्छवाह, मुकुल कच्छवाह, अजयसिंह कच्छवाह, अरविन्द कच्छवाह ने किया। मंगल कलश यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। श्रीमद भागवत महापुराण के पूजन के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण के साथ इस कथा के प्रथम दिवस शुभारंभ किया गया। सर्व पू. श्रद्धेय सुनीलजी महाराज ने प्रथम् दिवस पर श्रीमद भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। भागवत महापुराण यह उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है जो वेदों से प्रवाहित होती चली आ रही है। इसीलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। श्रद्धेय सुनील जी महाराज ने श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात चैतन्य, सौंदर्य, ऐश्वर्या, भागवत: प्रोक्तम् इति भागवत भाव कि वो वाणी, जो कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है। जो हमारे जीवन को सुंदर बनाती है वो श्रीमद भागवत कथा जो सिर्फ मृत्युलोक में ही संभव है। श्रीमद भागवत कथा वार्ता: सुराणामअ्पि दुर्लभा सुनील महाराज ने कथा कहते हुए बताया कि यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है इसलिए परीक्षित ने स्वर्गा अमृत के बजाए कथामृत की मांग की किस स्वर्गामृत का पान करने से पुन्यों का क्षय होता है पापों का नहीं। किंतु कथा अमृत का पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है कथा के दौरान उन्होंने वृंदावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृंदावन इंसान का मन है। कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है। परंतु वह जागृति स्थाई नहीं होती। इसका कारण यह है कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर हमारे अंदर वैराग्य व प्रेम नहीं होता है। इसलिए वृंदावन में जाकर भक्ति देवी तो तरुणी हो गई पर उसके पुत्र ज्ञान और वैराग्य अचेत और निर्बल पड़े रहते हैं। इसमें जीवन्तता और चैतन्यता का संचार करने हेतु नारद जी ने भागवत कथा का ही अनुष्ठान किया। श्रीमद भागवतेनैव भक्ति मुक्ति करे स्थिते अर्थात अगर भक्ति चाहिए तो भक्ति मिलेगी मुक्ति चाहिए तो मुक्ति मिलेगी।
वहीं 22 जनवरी को परिक्षित जन्म, शुकदेवजी आगमन, विदुर चरित्र, वाराह अवतार, 23 जनवरी को कपिल चरित्र, सति चरित्र, ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र, नृसिंह अवतार, 24 जनवरी को गजेन्द्र मोक्ष, वामन अवतार, राम जन्म, कृष्णा जन्म (नन्दोत्सव, 25 जनवरी को बालकृष्ण लीलाएँ, माखन चोरी, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग उसी दिन दोपहर 2 से 5 बजे तक सुन्दरकाण्डपाठ का आयोजन व 26 जनवरी को रासलीला, मथुरा गमन, कंस वध, उद्धव चरित्र, रूकणि विवाह, 27 जनवरी को सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, शुकदेव विदाई, पूर्णारति सहित कई धार्मिक कार्यक्रमों आयोजन होगा।