यह जमाना लडऩे का नहीं साथ चलने का: संत चंद्रप्रभ

जोधपुर। संत चंद्रप्रभ ने कहा कि हर देशवासी संकल्प ले कि मैं अपने भारत को स्वच्छ, स्वस्थ, समृद्ध, शिक्षित और संस्कारित बनाने में अपना पूर्ण योगदान दूंगा। हमारे देश में सबको अपनी अपनी परंपरा तथा संस्कृति को जीने का हक है इसीलिए भारत विश्व में सबसे महान देश है। संत चंद्रप्रभ संबोधि धाम में आयोजित समारोह में शहरवासियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सन् 2030 तक भारत का स्वर्णिम भविष्य उत्पन्न होगा। उसके लिए सब भारतवासियों को आहुति देनी पड़ेगी। हम कम नहीं हैं और हम कमजोर भी नहीं है। अनुभव का खजाना पुरानी पीढ़ी के पास है, पर टैलेंट नई पीढ़ी के पास ज्यादा है। अब समय आ गया है कि अनुभव और टैलेंट को मिलाकर हमें भारत के भविष्य का नवनिर्माण करना चाहिए। अतीत और वर्तमान के बीच में मित्रता होगी तभी नवीनीकरण होगा। यह जमाना लडऩे का नहीं है, साथ चलने का है, प्रगति का युग है। उन्होंने कहा कि यदि हम भाईचारे की भावना के साथ रहे तो 5000 साल में जितना विकास नहीं हुआ अगले 10 सालों में उतना विकास हो जाएगा।संत ने कहा कि हमें ट्रैफिक के नियमों का पालन करना चाहिए, देश में स्वच्छता रखनी चाहिए, थाली में झूठा नहीं छोडऩा चाहिए एवं टैक्स नहीं चुराना चाहिए। हमें इन सब नियमों का पालन करना चाहिए तभी संविधान का सम्मान होगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता स्वर्ग की जननी है। घर तो साफ रखना ही है मोहल्ला भी साफ रखना है। केवल बातों से अब काम नहीं होगा हर इंसान को आहुति देनी पड़ेगी। उन्होंने जीवन का एक मंत्र दिया कम खाओ, गम खाओ, नम जाओ अर्थात जितना जरूरत हो उतना खाइए,धैर्य रखिए तथा विनम्र बने रहिए। उन्होंने कहा कि हमें जुबान और जांघ दोनों पर नियंत्रण रखना चाहिए अर्थात हमें मौन रहना चाहिए तथा संयम रखना चाहिए। झूठन छोडऩा बंद करना चाहिए सबसे बड़ा अन्नदान है। जितनी जरूरत है उससे दो कौर कम लीजिए। किसी भी परिवार को संस्कारित, शिक्षित बनाना एक विद्यालय बनाने के समान है।उन्होंने जीवन में तीन तरह के हुनर की बात करते हुए कहा कि हाथ का हुनर होना अर्थात लिखना सीखो,बात का हुनर अर्थात अच्छा बोलना सीखो तथा लात का हुनर अच्छे प्लेयर बनो जिससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
संत शांतिप्रिय सागर ने पावर योगा तथा ध्यान करवाते हुए जीवन का एक नियम दिया पांव गर्म ,पैर नरम ,माथा रखो ठंडा ,जब भी कोई बीमारी आए उसे मारो डंडा यदि हम नियमित रूप से योगा करते हैं, ध्यान करते हैं तो हमें कोई भी बीमारी नहीं होगी।

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