शोध संस्थान में डिंगल साहित्य का अद्भुत खजाना: लखावत

जोधपुर। राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी में राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण जयपुर के पूर्व अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत ने यहां की पुरालेखीय सम्पदा की सराहना करते हुए कहा कि शोध संस्थान में चारणी साहित्य का अद्भूत खजाना होने के साथ ही डिंगल रचित साहित्य की भरमार है, जिनमें चारण साहित्य के प्राचीन दोहे, गीत, छप्पय, नीसांणी, वचनिका, झमाल, छन्द शास्त्र बहुत महत्वपूर्ण है, जिसको प्रकाश में लाना आवश्यक है। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के विकास में राजस्थानी शोध संस्थान विगत कई वर्षों से महत्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन एवं प्रकाशन कर रहा है जिससे राजस्थानी भाषा की मान्यता का पक्ष भी मजबूत हुआ है। इस अवसर पर उन्होंने राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी के सहायक निदेशक डॉ. विक्रमसिंह भाटी द्वारा लिखित पुस्तक ‘दहिया राजवंश का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास’ पुस्तक का भी विमोचन किया।

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