रमजान : बड़ी रहमतों व बरकतों का महिना
- नियमित रूप से नमाज अता करने के साथ-साथ रोजे रखे जाते हैं।
- पूरे महिना गरीबों को जकात व फितरा बांटा जाता है।
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। अल्लाह की इबादत या ईश्वर की उपासना वैसे तो किसी भी समय की जा सकती है। उसके लिये किसी विशेष दिन की जरुरत नहीं होती लेकिन सभी धर्मों में अपने आराध्य की पूजा उपासना, व्रत उपवास के लिये कुछ विशेष त्यौहार मनाये जाते हैं। ताकि रोजमर्रा के कामों को करते हुए, घर-गृहस्थी में लीन रहते हुए बंदे को याद रहे कि यह जिंदगी उस खुदा की नेमत है। जिसे तू रोजी-रोटी के चक्कर में भुला बैठा है, चल कुछ समय उसकी इबादत के लिये निकाल ले। ताकि खुदा का रहम ओ करम तुझ पर बना रहे और आखिर समय तुझे खुदा के फरिश्ते लेने आयें और खुदा तुम्हें जन्नत आला मुकाम अता फरमावें। लेकिन खुदा के करीब होने का रास्ता इतना भी आसान नहीं है खुदा भी बंदों की परीक्षा लेता है। जो उसकी कसौटी पर खरा उतरता है उसे ही खुदा की नेमत नसीब होती है। इसलिये इस्लाम में खुदा की इबादत के लिये रमज़ान के पाक महीने को महत्व दिया जाता है। रमज़ान या रमदान एक ऐसा विशेष महीना है जिसमें ईस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से नमाज अता करने के साथ-साथ रोज़े यानि कठोर उपवास (इसमें बारह घंटे तक पानी की एक बूंद तक नहीं लेनी होती) रखे जाते हैं। हालांकि अन्य धर्मों में भी उपवास रखे जाते हैं लेकिन ईस्लाम में रमज़ान के महीने में यह उपवास लगातार तीस दिनों तक चलते हैं। महीने के अंत में चांद के दिदार के साथ ही पारण यानि कि उपवास को खोला जाता है।
ईद-उल-फितर : रमज़ान का महीना खत्म होने के साथ ही ईद का त्यौहार मनाया जाता है। वैसे तो दान-दक्षिणा जिसे जकात कहा जाता है रोज़े रखने के दौरान भी दी जाती है लेकिन ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटा जाता है जिस कारण ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है।
रमजान की शुरूआत (चाँद दिखने पर)- 24 अप्रैल 2020 से 23 मई 2020 चलेगा।
ईद-उल-फितर (चाँद दिखने पर)- 24 मई 2020 को मनाई जाएगी।