सादगी से दुल्हे- दुल्हन ने लिये सात फेरे

  • अक्षय तृतीया पर राज्य सरकार की गाइडलाइन की पालना करते हुए विवाह सम्पन्न
  • सेवा भारती समाचार
  •  विडियो कॉलिंग से देखी रिश्तेदार व दोस्त ने लाइव शादी

जोधपुर। आखातीज के अबूझ सावे पर एक शादी ऐसी भी हुई। लॉकडाउन के चलते लक्ष्मी नगर निवासी दूल्हे नीरज कवाड़ ने दुल्हन कोमल मेहता के घर पर अपने परिवार के एक सदस्य के साथ फेरे लिए। पंडितजी ने दुल्हन के घर पर सात फेरे करवाए। इस मौके पर दुल्हन के माता-पिता ने रस्में अदा करवाई और आशीर्वाद दिया। शादी का लाइव वीडियो देखकर परिजन और मित्रजन इस शादी में शरीक हुए। दूल्हे के पिता रायचंद और दुल्हन के पिता हरीश मेहता ने तय किया कि सादगी से शादी कर ली जाए। उनका मानना था कि यह अबूझ सावा है। फिर लंबे समय तक मुहूर्त नहीं है और लॉकडाउन कब तक चले, कह नहीं सकते। गौरतलब है कि शादी की सभी तैयारियां हो गई थी, मगर कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से उन्हें इस प्रकार का निर्णय लेना पड़ा। दूल्हा एक बैंक में काम करता है। कोरोना का असर शादियों पर भी पड़ रहा है। रविवार को आखातीज के अबूझ सावे पर शहर के एक डेंटिस्ट ने महज पांच सदस्यों के बीच अपना विवाह रचाया। न बाराती, न घराती न भोजन न बैंड।

शास्त्री नगर हनवंत स्कूल के पास रहने वाले चंद्रशेखर सिहाग व विमला सिहाग के 32 वर्षीय पुत्र डॉ. तरुण सिहाग की तीन महीने पहले शादी बोरानाडा रीको रेजिडेंशियल कॉलोनी निवासी दीपाराम चौधरी व शांति देवी की लडक़ी डॉ. गीता चौधरी से तय हो गई। शादी के लिए चौपासनी गार्डन बुक हो गया। हलवाई, बैंड बुक हो गए। कपड़े-ज्वैलरी आ गई और कार्ड भी प्रिंट करने प्रिंटिंग प्रेस में दे दिए, लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन हो गया। ऐसे में बमुश्किल एसडीएम से शादी में महज पांच सदस्यों को शामिल होने की परमिशन मिली। बारात के रूप में दूल्हे के साथ कोई नहीं था। दूल्हा अकेला ही पेंट-शर्ट में साफा पहनकर कार लेकर ससुराल गया। जब वे अकेले कार लेकर ससुराल पहुंचे तो हर कोई उन्हें टकटकी लगाए देख रहा था। वहां सास-ससुर ने शादी की रस्में अदा की और पंडित श्रवण गौड़ ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ फेरे करवाए। दुल्हा-दुल्हन खुद ही कार में बैठ कर घर आ गए। यहां दूल्हे के परिजनों ने बहू का पारंपरिक रूप से स्वागत किया। दूल्हे डॉ.तरुण सिहाग का कहना है कि यह अबूझ सावा था और लॉकडाउन का पता नहीं और कितना बढ़ जाए। इसलिए घरवालों के कहने पर गीता के साथ उन्हें सात फेरे लेने का मानस बनाया।

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