प्रधानमंत्री ने राजस्थान द्वारा शुरू की गई पहल की सराहना की
सेवा भारती समाचार
जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेचौथी बार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोविड—19 से लडऩे के लिए राजस्थान में लिए गए इनिश्एिटिव्स की सराहना की। प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में राजस्थान में कोरोना संकट का मजबूती से मुकाबला करने के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद व्यक्त किया। प्रधानमंत्री की वीसी में अपनी बात नहीं रखने वाले राज्यों को लिखित में अपने सुझाव भेजने की बात के बाद राज्य के मुख्यमंत्री गहलोत ने 15 सूत्रीय बिंदुओं पर प्रधानमंत्री को अपने सुझाव भेजे हैं। इन सुझावों में मुख्यमंत्री गहलोत ने एक बार फिर से अधिकतर उन्हीं सब बातों को दोहराया है, जिन्हें वे पूर्व में पीएम की वीसी के साथ ही उन्हें लिखे पत्रों में रख चुके हैं।
राज्यों को दिया जाए 1 लाख करोड़ का अनुदान : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है। ऐसे में उन्हें 1 लाख करोड़ रूपये का अनुदान उपलब्ध करवाया जाए। इसका आधार प्रति व्यक्ति जनसंख्या, कोविड महामारी का प्रकोप या फिर जी.एस.टी. काउन्सिल या अन्तर्राज्यीय परिषद की ओर से निर्धारित मापदण्ड भी हो सकते हैं।
जीएसटी क्षतिपूर्ति को दस वर्ष किया जाए : कोरोना के कारण हर राज्य की स्थानीय परिस्थितियों एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुए जीएसटी की व्यवस्था के अन्तर्गत राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किया जाए।
6 माह का ब्याज मुक्त मोरेटोरियम : राज्य सरकार एवं इसके बोर्ड, कॉरपोरेशन तथा कंपनियों (पावर कंपनियों सहित) को भारत सरकार और उसके विभिन्न संस्थानों जैसे पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन से लिए गए ऋणों के भुगतान की किस्तों पर मूल एवं ब्याज, दोनों पर 6 माह का ब्याज मुक्त मोरेटोरियम दिया जाए।
50 प्रतिशत तक हो एमएसपी पर खरीद : किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके, इसके लिए जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की सीमा को कृषि उत्पादन के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए।
उद्योग, व्यापार जगत के लिए पैकेज : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना महामारी का बड़ा प्रतिकूल प्रभाव उद्योग एवं व्यापार जगत पर पड़ा है। करीब डेढ़ महीने से औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। ऐसे में उन्हें उबारने के लिए केन्द्र द्वारा एक व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए। यह पैकेज उसी प्रकार का हो जैसा वर्ष 2008 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के समय दिया गया था। कोविड-19 के इस संकट काल में अमेरिका, यूके, जापान आदि देशों ने वृह्द स्तर पर पैकेज दिए हैं।
राजकोषीय व्यय को बढ़ावा दें : इस चुनौतीपूर्ण समय में अर्थव्यस्था को उबारने के लिए राजकोषीय व्यय को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए भारत सरकार को केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की केन्द्रांश की राशि की पहली किश्त शीघ्र बिना किसी शर्त के जारी करनी चाहिए। राशि जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।
श्रमिको के वेतन भुगतान के लिए स्कीम : लॉकडाउन के दौरान अधिकतर एमएसएमई उद्योग बंद होने के कारण अपने श्रमिकों को वेतन एवं मजदूरी देने की स्थिति में नहीं है। भारत सरकार को इन श्रमिकों के वेतन भुगतान के लिए निर्णय लेकर इनके वेतन का एक हिस्सा 6 माह तक के लिए देना चाहिए। भारत सरकार को एक योजना बनानी चाहिये।
श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए बने राष्ट्रीय योजना : लॉकडाउन के करीब 35 दिन बीत जाने के बाद प्रवासी मजदूरों एवं छोटे दुकानदारों के दिलों में यह बात घर कर गई है कि उन्हें एक बार अपने परिवार के बीच जाना चाहिए। घर नहीं जा पाने के कारण वे असहनीय मानसिक पीड़ा से गुजऱ रहे हैं। पूर्व में भी हमने इस ओर केन्द्र का ध्यान आकर्षित किया है। केन्द्र को चाहिए कि वह राष्ट्रीय स्तर पर राज्यों से शीघ्र विचार-विमर्श एक योजना बनाए। अन्तर्राज्यीय परिवहन एवं विशेष रेल गाडिय़ों के माध्यम से ऐसे प्रवासियों को उनके पैतृक स्थानों पर पहुँचाया जा सके।
बहाल हो इंटर स्टेट सप्लाई चेन : आर्थिक गतिविधियां तब तक पटरी पर नहीं आएंगी, जब तक राज्यों के बीच सप्लाई चेन बहाल नहीं की जाए। इसके लिए खुदरा क्रय-विक्रय को सुचारू करने के लिए अन्तर्राज्यीय आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावी बनाना होगा।
शुद्ध ऋण सीमा 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत हो : राज्यों को मिलने वाली शुद्ध ऋण सीमा 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत बिना शर्तों के की जाए। इस मुश्किल समय में राज्य सरकार जरूरतमंद, निराश्रित एवं बेसहारा लोगों को संबल देने के लिए तमाम जरूरी कदम उठा रही हैं। ऐसे में उन्हें वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं रहे इसके लिए यह अनुमत किया जाए।
जीएसटी की क्षतिपूर्ति, सीएसटी क्लेम की राशि जल्द मिले : मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि केन्द्र राजस्व की भारी कमी से जूझ रही राज्य सरकारों को जीएसटी की क्षतिपूर्ति और पूर्व के सीएसटी क्लेम की राशि शीघ्र उपलब्ध कराए। इनके समय पर नहीं मिलने से राज्य सरकारों पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है।
आर्थिक, औद्योगिक गतिविधियों के लिए स्वतंत्रता : मोडिफाइड लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियों एवं व्यापार तथा उद्योग को चरणबद्ध रूप से पुन: क्रियाषील करना भी जरूरी है।
चिकित्सा उपकरणों की हो केन्द्रीकृत खरीद : कोरोना से प्रभावी रूप से लडऩे के लिए पीपीई किट्स, मास्क, टेस्टिंग किट्स, वेन्टीलेटर्स इत्यादि की खरीद के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि इनकी गुणवत्ता अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो। ऐसे में केन्द्रीकृत खरीद करके इन वस्तुओं को जरूरत के हिसाब से राज्यों को उपलब्ध करवाया जाए।
खाद्य सुरक्षा का आधार वर्ष 2019-20 की जनसंख्या हो : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसए) के लाभार्थियों के चयन की सीमा वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार है। विशेष परिस्थितियों को देखते हुए इसे 2019-20 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर तुरन्त बढ़ाया जाए।
वेज एंड मीन्स एडवांस पर ब्याज में छूट की मांग : राज्यों को वेज एंड मीन्स एडवांस की सीमा 60 प्रतिशत करने के केन्द्र के फैसले का स्वागत किया और इस राशि पर ब्याज में छूट देने की मांग की।