कोरोना महामारी में जल संकट को न भूले: शेखावत

  • केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने जल और पर्यावरण- हमारे जीवन की वास्तविक शक्ति विषय पर किया संवाद

सेवा भारती समाचार 

जोधपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान भी हमें जल संकट पर गंभीरता से काम करना होगा। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन समाज को भी इस दिशा में काम करने की आवश्कता है। राजस्थान में पिछली भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि इस योजना में अच्छा काम हुआ था। इसके माध्यम से भू जल के गिरते स्तर को राज्य में रोका जा सका लेकिन दुर्भाग्य है कि यह योजना राजनीति की शिकार हो गई। इस पर आगे काम नहीं हुआ। भाजपा के संभाग मीडिया प्रमुख अचल सिंह मेड़तिया ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी राजस्थान द्वारा आयोजित संवाद श्रृंखला के तहत जल और पर्यावरण – हमारे जीवन की वास्तविक शक्ति विषय पर लाइव संवाद कार्यक्रम में शेखावत ने यह विचार व्यक्त किए। जोधपुर सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह ने कहा कि आज पर्यावरण और जल, दोनों हमारे लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। वर्तमान में जिस चुनौती के दौर से हम गुजर रहे हैं, उसमें प्रकृति का एक छोटा सा वायरस हमारे अस्तित्व को हिलाने की ताकत रखता है। देश में बढ़ते जल संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वल्र्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के अनुसार निकट भविष्य में भारत समेत 17 देश दुनिया में पानी के संकट का सामना करने वाले हैं। आजादी के समय हमारी प्रति व्यक्ति पानी की जरूरत 5000 क्यूबिक मीटर थी, जो अब घटकर 1540 क्यूबिक मीटर पर आ गई है। ऐसा माना जाता है कि यदि 1500 क्यूबिक मीटर पानी से नीचे यह आंकड़ा गया तो देश को पानी की किल्लत वाला मान लिया जाएगा। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारी आबादी जो आजादी के समय 30-32 करोड़ थी, वो बढक़र 132 करोड़ हो गई।  शेखावत ने कहा कि क्लाइमेंट चेंज का जो खतरा सामने खड़ा है, सारा विश्व उससे घबरा रहा है। हमारा बरसात का समय घट गया है। 45 दिनों में ही 90 प्रतिशत पानी बरस जाता है। इसलिए हमें 45 दिन में बरसे पानी को बाकी बचे हुए 320 दिन के लिए बचाकर रखने की जरूरत है। हमारे यहां जल स्रोतों की संख्या घटी है। जिन तालाबों को हमने पहले भरा देखा था, उनमें से कई लुप्त हो गए हैं। इसलिए हमें अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की जरूरत है। शेखावत ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद भी देश में 18 प्रतिशत ग्रामीण आवासों तक पीने का पानी नल के माध्यम से पहुंचता है। अब 2024 तक शेष आवासों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। कोरोना के कारण कुछ व्यावधान जरूर आया है, लेकिन लॉकडाउन खत्म होते ही हम इस कार्य को कैसे गति दे सकते हैं, उस दिशा में काम करना हमने प्रारंभ कर दिया है। शेखावत ने कहा कि देश में कुल उपयोग का पांच प्रतिशत पानी का ही घरेलू इस्तेमाल होता है। छह प्रतिशत पानी उद्योगों में इस्तेमाल होता है। शेष 89 प्रतिशत पानी खेती में उपयोग होता है। हम 2 करोड़ टन चावल सरप्लस उगाते हैं। हमारा पानी दुनिया में सबसे कम उत्पादक माना गया है। हमारे यहां एक किलो चावल 5600 लीटर पानी में उगता है, जबकि चीन समेत दूसरे कई देश 350 लीटर पानी में यही काम कर लेते हैं। यदि हम ऐसी फसलों का उपयोग करें जो कम पानी में हो जाएं या हम ऐसी विधि का उपयोग करें, जिसमें कम पानी में फसल हो जाए।

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