साहसी जज्बे से वीरान भवन बना कोरोना से लडऩे का मजबूत केन्द्र

  • खुद नायब तहसीलदार रवि शेखर चौधरी ने दस्ताने-हेलमेट पहनकर हटाए मधुमक्खियों के छते

सेवा भारती समाचार 

जोधपुर। कई सालों से वीरान पड़ा भवन, चारों तरफ फैली गंदगी और दीवारों से लटकते बड़े-बड़े मधुमक्खियों के छत्ते। ऐसी भयावह जगह को शानदार कोविड केयर सेंटर में तब्दील करना कोई आसान काम नहीं था लेकिन एक साहसी युवा अधिकारी के जज्बे एवं दृढ़ निश्चय और उनकी टीम की कड़ी मेहनत की बदोलत देखते ही देखते यह संभव हो गया, जहां आज करीब 330 कोरोना पॉजिटिव लोग स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
मार्च महीने का आधे से ज्यादा वक्त बीता ही था कि शहर में कोरोना का असर आ गया और 22 मार्च को पहला पॉजिटिव केस सामने आया। इस पर शहर से थोड़ा दूर कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए मंथन शुरू हुआ। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने दूरदृष्टि दिखाते हुए बोरानाड़ा में बैंक द्वारा कुर्क निजी अस्पताल के भवन को समानान्तर अस्पताल का रूप देने की सोची और अधीनस्थ अधिकारियों की टीम को जिम्मा सौंपा।
अधिकारियों की टीम बोरानाड़ा पहुंची और भवन का जायजा लिया। गंदगी से लदे भवन में पाइप फिटिंग, दरवाजे लगवाने, सफाई जैसे कार्यों से भी ज्यादा बड़ी चुनौती मधुमक्खियों के दस से अधिक बड़े-बड़े छतों को हटाने की थी। इसके लिए धुंआ करने से लेकर सारे प्रयास किए गए, मगर सफलता नहीं मिली। इन सब परेशानियों के साथ भयावह हालत वाले इस भवन को सुधारना लगभग असंभव सा हो गया था।
इसी बीच नायब तहसीलदार रवि शेखर चौधरी ने साहस दिखाया और दस्तानें-हैलमेट पहनकर मधुमक्खियों के छतों को हटाने का काम चालू कर दिया। उन्होंने फायर ब्रिगेड वाहन को बुलाया और खुद ही भारी पाइप लेकर प्रत्येक मंजिल पर पहुंच गए। देखते ही देखते उन्होंने सारे छतों को हटाने का काम पूरा कर दिया। परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि अगले दिन फिर मधुमक्खियां छता बनाने लग गईं। अब इन छतों को स्थाई रूप से हटाने की चुनौती सामने आ गई।रवि शेखर ने फिर फायर ब्रिगेड का पाइप संभाला और मधुमक्खियों के छतों को हटाया। भविष्य में इस समस्या से स्थाई निजात पाने के लिए फायर एक्सटैग्विशर से छतों वाले स्थान को रंग कर पेस्टीसाइड का छिडक़ाव करवाया। जिससे आने वाले समय में पुन: इस समस्या से कोविड केयर सेन्टर में कार्य करने वाले चिकित्सक कर्मियों व अन्य कार्मिकों के साथ कोविड पॅाजिटिव मरीजों को जूझना न पडे। इसके बाद फिटिंग, साफ-सफाई, क्लीनिंग, फ्यूमीगेशन किया गया और जरूरी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराकर वीरान भवन को अस्पताल का रूप दिया गया। इस साहसी युवा अधिकारी के जज्बे और विभिन्न विभागों के कार्मिकों की मेहनत का ही नतीजा है कि बोरानाड़ा का यह भवन आज कोरोना से लडऩे के लिए शहर का मजबूत केन्द्र बनकर उभरा है। आज के दिन यहां करीब तीन सौ कोरोना पॉजिटिव लोग स्वास्थ्य लाभ ले रहें हैं और ठीक होकर हंसी-खुशी घर लौट रहे हैं।

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