आर्थिक पैकेज में व्यापारियों को जोडऩे की मांग

सेवा भारती समाचार 

जोधपुर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) एवं मारवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस बात पर गहरा खेद व्यक्त किया है कि हाल ही में घोषित आर्थिक पैकेज में देश के व्यापारिक समुदाय को बिलकुल नकार दिया गया है। व्यापारिक समुदाय में सम्मिलित खुदरा विक्रेता, थोक विक्रेता, वितरक और अन्य वर्ग जो की पूरे देश में लगभग 7 करोड़ व्यापारियों का समूह है वो अपनी उपेक्षा से बेहद आक्रोशित हैं। कैट के राष्ट्रीय गवर्निंग कौंसिल के सदस्य एवं चैम्बर के अध्यक्ष प्रसन्न मेहता ने सीतारमण को भेजे पत्र में कहा कि आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय सरकार ने व्यापारियों की उपेक्षा की है जिससे देश भर में व्यापारिक समुदाय आंदोलित है और स्वयं को आर्थिक पैकेज में ना शामिल किये जाने से बेहद निराश है। वर्तमान गंभीर संकट के समय जब व्यापारियों को आर्थिक पैकेज की बेहद जरूरत थी तब व्यापारियों पर ध्यान ना देना बहुत ही दुखद हैं और लॉक डाउन खुलने के बाद व्यापारियों को गंभीर वित्तीय संकट की चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
मेहता ने कहा कि कोरोना महामारी के इस विकराल समय मे भारत के व्यापारी आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार और भारत के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं ताकि हर नागरिक को लॉकडाउन के दौरान जरूरी वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति हो। व्यापारियों को लगता है कि सरकार ने उन्हें बहुप्रतीक्षित आर्थिक पैकेज में शामिल न करके व्यापारियों के साथ बड़ा अन्याय किया है।
मेहता ने कहा कि देश में लगभग सात करोड़ व्यापारी शहरी, ग्रामीण और अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। लगभग 45 प्रतिशत व्यापारी बहुत सीमित साधनों और संसाधनों के साथ ग्रामीण भारत की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। लॉकडाउन की कुल्हाड़ी सबसे क्रूर तरीके से उन व्यापारियों पर गिरेगी जो मूल रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हैं।

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