ट्विटर के माध्यम से नर्सेज ने दिखाई एकता

  • राष्ट्रीय स्तर पर कराया ट्रेडिंग, एम्स में नए नर्सिंग भर्ती नियमों का विरोध किया

सेवा भारती समाचार 

जोधपुर। एम्स में नर्सिंग ऑफिसर भर्ती नियमों में महिला और पुरुष के 80:20 अनुपात करने के विरोध में पुरुष बेरोजगार नर्सेज ने लॉकडाउन के चलते ट्विटर पर मुहिम चलाकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और प्रधानमंत्री को ट्वीट करके इस महिला पुरुष के अनुपात को हटाने की मांग की है। इस आंदोलन के संयोजक बीआर डेलू ने बताया कि दिल्ली में सीआईबी की एक मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि आने वाली सभी नर्सिंग ऑफिसर पोस्ट वैकेंसी में महिला व पुरुष अनुपात 80:20 किया जाता है जबकि इस फैसले को लेने से पूर्व नर्सिंग फेटरनिटी से जुड़े किसी संगठन से कोई सलाह नहीं ली गई, जो न्यायोचित नहीं है, इसका हम पुरजोर से विरोध करते है और नर्सेज महिला पुरुष लिंगानुपात में मतभेद से पुरुष नर्सेज को भारी बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा, साथ ही यह नर्सेज कर्मियों के संगठनों को कमजोर करने के लिए यह नीतियां बनाई गई है, क्योंकि पुरुष नर्सेज अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते रहे है, और नर्सेज में एकता होने से पर प्रशासन को उनकी मांगे स्वीकार करनी पड़ती है। ऑल इंडिया नर्सेज फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखलाल जाट और राष्ट्रीय सचिव अरविंद चौधरी ने बताया कि वो इस मुद्दे को पूर्व में कई बार स्वास्थ्य मंत्री को व्यक्तिगत मिलकर भी अवगत कराया जा चुका है और कई पत्र लिख चुके है, लेकिन इसके उपर अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।ऑल इंडिया नर्सेज संघर्ष समिति से जुड़े राजमल रैगर ने बताया कि 28 मई को हैशटैग के साथ नर्सेज ने एकता दिखाते हुए राष्ट्रीय लेवल पर ट्विटर को पांच नंबर पर ट्रेंड करवाया वहीं राजस्थान में पूरे दिन यह नंबर एक पर ट्रेंड में रहा। यह नर्सिंग इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सोशियल मीडिया पर नर्सेज को इतना भारी समर्थन मिला। रैगर ने बताया कि इस हैशटैग से 2 लाख ग्यारह हजार से ज्यादा ट्वीट किए गए , साथ ही उन्होंने ट्वीट करने वाले सभी साथीयों का आभार व्यक्त किया ।इस आंदोलन से जुड़े साथी राकेश जोशी, मुकेश चौधरी, मदन लाल सैनी, भोजराज पिलार्निया, नारायण बेनीवाल, दिनेश चौधरी भंवर लाल ज्यानी, अशोक सिंघड, अमर सिंह सियाग, मुकेश सैनी ने बताया कि एम्स में नर्सिंग भर्ती नियमों में परिवर्तन से पूर्व नर्सिंग संगठनों के पदाधिकारियों से राय लेकर ही नियम बनें ताकि इस तरह के मतभेद पैदा ना हो और बेरोजगार युवाओं को नुकसान झेलना ना पड़े , सरकार को इस अहम मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए, ताकि आने वाली सारी वैकेंसी पुराने नियम अनुसार हो।

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