एम्स में नर्सिंग भर्ती में लैंगिक मतभेद

  • भविष्य में मिलेंगे नकारात्मक परिणाम: जोशी

सेवा भारती समाचार 

जोधपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थाओं में महिला नर्सिंग अधिकारी को 80 प्रतिशत व शेष 20 प्रतिशत पद पुरूष नसिंग अधिकारी को आरक्षित कर दिए गए है जिसको लेकर देश की सभी नर्सिंग यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा इस फैसले का कड़ा विरोध प्रकट किया है। नर्सिंग हितों को लेकर लम्बे समय से संघर्ष कर रहे नर्सिंग ऑफिसर राकेश जोशी ने बताया कि केंद्रीय संस्थाओं के डायरेक्टर और केंद्रीय चिकित्सा मंत्री की सीआईबी की बैठक में यह निर्णय लिया, जो हमारे लैंगिक समानता के संविधानिक अधिकारों के खिलाफ हैं। भारत के संविधान के आर्टिकल-16 के तहत किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से सम्बंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिये अवसर की समानता है। कोई भी नागरिक धर्म, जाति, लिंग, वंश के आधार पर किसी भी रोजगार या कार्यालय में अयोग्य नही होगा, न ही उसके विरुद्ध भेदभाव करेगा लिंग के आधार पर किया गया निर्णय हमारे नर्सिंग प्रोफेशन को पिछड़ा बनायेगा एवं स्वास्थ्य सेवा में कमी होंगी जिससे नर्सिंग पेशे को विकास की नई दिशा नहीं मिलेंगी एम्स जैसी बड़ी संस्थानों द्वारा लिया गया निर्णय नर्सिंग समुदाय को आघात/ठेस पहुंचायी है। इस फैसले को लेकर देश भर के सभी नर्सिंग संगठनों ने प्रधानमंत्री भारत सरकार, डॉ.हर्ष वर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री व निदेशक एम्स, नई दिल्ली को पत्र लिखकर अवगत कराया गया हैं कि यह निर्णय वापिस नहीं लिया गया तो इसके भयंकर परिणाम होंगे, यह निर्णय पुरूष व महिला नर्सेज में आपसी मतभेद उत्पन्न करेगा जो नर्सिंग समुदाय की एकता को खत्म करेगी।
जोशी ने बताया कि देश में पहले से ही मेल नर्सेज बेरोजगार है, यह निर्णय आने से उनमें रोष व्याप्त है जो आगे जाकर एक बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसकी शुरुआत ट्विटर के माध्यम से नर्सेज ने कर दी है, और साथ ही कई नर्सेज संगठनों ने आंदोलन को लेकर रूपरेखा तैयार की है, जिसमें देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा, साथ ही जल्द केंद्रीय चिकित्सा मंत्री जी से मिलकर फिर से इस लैंगिक अनुपात की बाध्यता को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करने का निवेदन किया जाएगा। वहीं एआईनएफ के राष्ट्रीय सचिव अरविंद चौधरी ने बताया कि जब परीक्षा के माध्यम से भर्ती होती है, तो सभी को सम्मान अवसर मिलता है जिसमे महिला और पुरुष कोई भी परीक्षा पास करके अपना सलेक्शन सुनिश्चित कर सकता है साथ ही उन्होंने बताया कि एम्स ने इन नियमों को लागू करने के पीछे पेशेंट्स कम्फर्ट का कारण बताया है तो यह नियम सिर्फ नर्सेज के ऊपर क्यों लगाया है, इसको डॉक्टर पेशे में भी लागू हो, जिससे पेशेंट्स को और बेहतर कम्फर्ट महसूस हो।

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