ऑनलाइन शिक्षा : बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जारी की एडवाइजरी

सेवा भारती समाचार
जयपुर। स्कूलों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को लेकर बच्चों को हो रही समस्याओं को देखते हुए राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि बच्चो की ऑनलाइन क्लासेस 30-40 मिनिट से ज्यादा की न हों। दो क्लासेस के बीच 10 से 15 मिनिट का गैप रखा जाए और सप्ताह में दो दिन अवकाश दिया जाए। आयोग की ओर से जारी एडवाइजारी को राजस्थान के शिक्षा विभाग ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों के लिए लागू कर दिया है। कोरोना लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद है और अब नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में सभी स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस पर जोर दिया जा रहा है।

राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि ऑनलाइन शिक्षण को क्लासरूम का पूर्ण विकल्प नहीं माना जा सकता। सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल ने बच्चों के ऑनलाइन शोषण और दुरुपयोग के संभावित खतरे को भी बढ़ा दिया है। ऐसे में इसके उपयोग में सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि बच्चों का शारीरिक और मानसिक तनाव न बढ़े। आयोग की ओर से जारी एडवाइजारी को शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों को भेज कर लागू करने के निर्देश दिए है।

यह हैं एडवाइजरी की खास बातें

  •  आठवीं तक के बच्चों के लिए 30-40 मिनिट से ज्यादा की क्लास न हो और बीच में 10-15 मिनिट का अंतर रखा जाए। पांचवी तक के बच्चों के लिए 10-15 के मिनिट के वीडियो के जरिए स्टडी कराई जाए।
  •  सामान्य पढ़ाई के लिए वीडियो की जगह ऑडियो क्लिप का इस्तेमाल करें
  •  यह स्थिति सामान्य होने तक का विकल्प है, इसलिए पेरेंट्स भी बच्चों की पढाई में सहयोग करें।
  •  बहुत ज्यादा होमवर्क न दिया जाए, ताकि बच्चे लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल से दूर रहे। होमवर्क ऑफलाइन ही कराया जाए। संचार उपकरणों का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए हो।
  •  सप्ताह में दो दिन ऑनलाइन शिक्षण न हो, ताकि बच्चे स्क्रीन से दूर रहें और दूसरे तरीकों से पढाई करें।
  •  सात दिन पहले टाइमटेबल जारी किया जाए, ताकि बच्चे पूर्व तैयारी कर सकें।
  •  संचार उपकरणों के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों को समय समय पर बताएं और उपयोग की सावधानियों की जानकारी भी दी जाए।
  •  दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारित हो रहे शिक्षा कार्यक्रम देखने के लिए प्रेरित करें ताकि व्यक्तिगत तौर पर संचार उपकरणों का उपयोग कम हो।
  •  छात्रों के छोटे छोटे समूह बना कर पढ़ाई कराई जाए।
  •  बच्चों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सर्वसुलभ गैजेट या ऐप से ही स्टडी कराई जाए। किसी विशेष उपकरण या ऐप के लिए बाध्य नहीं किया जाए।
  •  सुबह 9 बजे से पहले और शाम को 4 बजे के बाद ऑनलाइन कक्षाएं न हों।
  •  ऑनलाइन कक्षाओं से पहले या बाद में बच्चों को योग, ध्यान और शारीरिक स्वास्थ्य की जानकारी भी दी जाए।

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