मानसिक खुशहाली से बढक़र जीवन की कोई दौलत नहीं

सेवा भारती समाचार

जोधपुर। संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि कोरोना से डरें नहीं, हर हाल में खुश रहें। मानसिक खुशहाली से बढक़र जीवन की कोई दौलत नहीं होती है। मन की शांति से ही स्वर्ग के रास्ते खुलते हैं। मन में शांति है तो थोड़े से साधन भी सुख दे देते हैं, नहीं तो ढेर सारे साधन भी इकठ्ठे कर लो पर उससे कुछ होने वाला नहीं है। संतप्रवर कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में कोरोना काल में खुश कैसे रहें विषय पर आयोजित फेसबुक लाइव प्रवचनमाला में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिसका मन शांत है उसे एक या दो घंटे की नहीं पूरे 24 घंटे की सामायिक का लाभ मिल जाता है क्योंकि शांति में जहां एक तरफ ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास होता है वहीं दूसरी तरफ महावीर का मौन और मीरा की मस्ती भी छिपी रहती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शांति पाने के लिए तीर्थ जाते हैं तो कुछ लोग गुटखा, शराब और तंबाकू जैसे नशे में डूब जाते हैं। इससे कुछ घंटे तो शांति मिल सकती है, पर सदाबहार शांति पाने के लिए व्यक्ति को हर हाल में खुश रहना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति आज शरीर से कम दिमाग से ज्यादा बीमार है। चिंता और तनाव आज की सबसे बड़ी बीमारियाँ है। बाहर से मुस्कुराता हुआ दिखाई देेने वाला इंसान भीतर में हजारों तरह की चिंताएं पाले बैठा है। मकड़ी के जाले से भी ज्यादा उलझने इंसान के दिमाग में है। अगर पूजा-प्रार्थना-इबादत और धर्म-आराधना करते हुए व्यक्ति के दिमाग का ईसीजी किया जाए तो पता चलेगा कि वह अंदर ही अंदर कहो भटक रहा है। चिंता को आत्मघातक रोग बताते हुए संत ने कहा कि चिंता करना तो खुद पर कुल्हाड़ी चलाने जैसा है। व्यक्ति बचपन से लेकर पचपन तक या तो अतीत की चिंता करता है या फिर आने वाले कल की। उन्होंने कहा कि बीत गई सो बात गई तकदीर का शिकवा कौन करे जो तीर कमां से निकल गया उस तीर का पीछा कौन करे। व्यक्ति चिंता करने की बजाय कल का इंतजाम और आज का चिंतन करे।

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