संगठन ही धर्म का असली प्राण: संत कमल
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। धागे का एक एक टुकड़ा अलग-अलग पड़ा है तो अस्तित्व हीन कचरे के रूप में नजर आता है वही रस्सी का आकार ले ले तो हाथी बांधने की क्षमता आ जाती है। संगठन में शक्ति है संगठन ही धर्म का असली प्राण है। उक्त विचार संत कमलमुनि कमलेश ने आचार्य सम्राट आनंद ऋषि की 121वी जयंती एकता दिवस समारोह को संबोधित करते व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महापुरुषों ने अपने से ज्यादा संगठन को महत्व दिया, उसे सर्वोपरि माना, उसको मजबूत करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। संत ने स्पष्ट कहा कि कलयुग में संगठन से बड़ा और कोई धर्म नहीं है। साधना द्वारा सफलता पाने में समय लग सकता है लेकिन संगठन से दूसरे ही पल सफलता मिल जाती है। मुनि कमलेश ने कहा कि संगठन किसी भी नाम से हो उसका उद्देश्य समन्वय के साथ सबको साथ में लेकर चलने का हो वह विश्व पूजनीय बनता है। जाति पंथ संप्रदाय और प्रांत के नाम पर संकीर्ण और कुंठित विचारों से बने हुए संगठन नफरत और टकराव पर खड़े होते हैं वह मानवता के कट्टर शत्रु हैं। आचार्य प्रवर राजतिलक सुरी ने कहा कि प्रेम और सद्भाव संगठन का लक्ष्य हो कभी सार्थकता है संगठन में ही धर्म साधना और मोक्ष का निवास है। इस दौरान बाल मुनि मोक्ष तिलक विजय, अक्षत मुनि ने भी विचार व्यक्त किए। कौशल मुनि जी मंगलाचरण किया।