ओसवाल स्थापना दिवस पर की विश्व शांति कल्याण की प्रार्थना
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। ओसवाल स्थापना दिवस पर घर-घर व जैनाचार्य रत्नप्रभसूरी रामचंद्रसुरी गुणरत्नसुरी का गुरु भक्तों ने क्रिया भवन में महिमा गुणगान किया। प्रवक्ता धनराज विनायकिया ने बताया कि ओसवाल वंश के आद्यपति जैनाचार्य रत्नप्रभसूरी महाराज द्वारा स्थापित 2477वां ओसवाल स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में ओसवाल महिमा गुणगान तथा हाल ही में हुए दीक्षा दानेश्वरी जैनाचार्य गुणरत्नसुरी महाराज के देवलोकगमन स्मृर्ति में गुरु गुणरत्नसुरी गुणानुवाद गुणगान किया गया। साथ ही जैनाचार्य रामचंद्रसुरी दीक्षा स्मृति दिवस पर नगर स्थित रत्न प्रभ धर्म क्रिया भवन में गुरुभक्तों ने दीप प्रज्वलित कर गुणगान किया। इस अवसर पर तपागछ संघ सचिव उम्मेदराज रांका ने आचार्य गुणरत्नसूरी के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि अगर हम सभी को गुरु ने धर्म राह नहीं दिखाई होती आज हम कहां भटकते होते। गुरु का उपकार जन्मों-जन्मों तक नहीं भूल सकते। अनिल मेहता ने बताया कि व्यक्ति चला जाता है स्मृतियां रह जाती है। उन्होंने आत्मा व देह का भेद बताया। श्रवण दुगड़ ने जिन शासन को सर्वोपरि जैनाचार्य बताया। ललित पोरवाल ने कहा कि हमें गुरुजी के जीवन को पढऩा चाहिए। केवलराज सिंघवी ने कहा कि ऐसे त्यागी संतों का जितना गुणगान करें कम है। समिति राष्ट्रीय महामंत्री धनराज विनायकिया ने बताया कि आज त्रिवेणी संगम हुआ है एक तरफ ओसवाल स्थापना दिवस व दूसरी तरफ आद्य गुरु रत्नप्रभसूरी गुरु गुणरत्नसुरी महिमा एवं रामचंद्रसुरी दीक्षा स्मृति दिवस होने से सोने में सुहागा हो गया। वल्लभ महिला मंडल की अध्यक्षा चंदू मुहनोत ने बताया ने बताया कि तीर्थंकरों ने शासन की स्थापना की उसी प्रकार रत्नप्रभसूरी ने ओसवाल वंश की स्थापना और रामचंद्र सुरी गुणरत्नसूरी ने युवाओं को प्रतिबोध कर अनेक मुमुक्षुओं को दीक्षा प्रदान की। ऐसे शासन उपकारीर्यों का जितना गुणगान करें उतना कम है। कई गुरूभक्तों ने महिमा गुणगान किया। कोराना महामारी विनाश हेतु विश्वशांति कल्याण की प्रार्थना की गई।