हर हाल में खुश रहना ही जीवन का असली आनंद: संत चन्द्रप्रभ

सेवा भारती समाचार

जोधपुर। संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि पहले साधन कम थे पर जीवन में सुकून ज्यादा था। सम्पन्नता बढ़ गई, सुविधाएं भी बढ़ गई पर साथ ही साथ मानसिक दुख भी बढ़ गए। हमें इस धरती को अगर स्वर्ग बनाना है तो केवल सुविधाओं में उलझने की बजाय मन की शांति और सुकून को भी महत्व देना होगा। मन की शांति का मालिक होने के लिए जीवन में जो हो रहा है उसे सहजता से स्वीकार करें। लाभ होने पर गुमान न करें और हानि होने पर गिला न करें। हर हाल में खुश रहना सीख लें अगर जीवन का भरपूर आनंद लेना है तो। संत चन्द्रप्रभ कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में चाहतें कम नहीं हैं इंसान जीवनभर 99 के फेर में पड़ा रहता है। सब कुछ होने के बावजुद भी जो और चाहिए, और चाहिए करता रहता है, उस आदमी को जीवन में कभी शांति नहीं मिल सकती। हमारी जिंदगी का आधा भाग तो हाथाजोड़ी, भागादौड़ी और माथाफोड़ी में ही बीत जाता है। संतप्रवर ने कहा कि सम्पन्न सो सुखी यह जरूरी नहीं हैं, दुनिया में सबसे सुखी और अमीर वही होता है जिसके पास संतोष का धन होता है। केवल साधनों को इक_ा करना हमारी भौतिकता है लेकिन साधनामय जीवन जीना यही हमारी आध्यात्मिकता है। हम अति महत्त्वाकांक्षाओं से बाहर निकलें, अति क्रोध और गहरी चिंताओं से बाहर हों क्योंकि उससे हमारी एनर्जी तीव्र गति से नष्ट होती है। अगर हमें शांतिपथ का मालिक बनना है तो चिंता, क्रोध, ईष्र्या इन दुर्गुणों से बाहर निकलना होगा। जो प्राप्त है वही पर्याप्त है, यह सोच ही हमारे सुख-सुकून का आधार बन सकती है। संत ने कहा कि हमें अंर्तमन में वैर-विरोध, ईष्र्या, क्रोध और कलह की गांठों को खोल लेना चाहिए। इन गांठों को खोलना ही मोक्ष है। ध्यान विधि का प्रयोग करवाते हुए राष्ट्र-संत ने कहा कि हमें 15 मिनट ही सही, रोज ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए। एकांत में बैठकर आती-जाती सांसों का ध्यान करना चाहिए। तन और मन को विश्राम देने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button