जो प्राणी मात्र का कल्याण करे वही धर्म: संत चन्द्रप्रभ

सेवा भारती समाचार

जोधपुर। संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि जो प्राणी मात्र का कल्याण करता है वही धर्म होता है। जो व्यक्ति निर्मल, निष्पाप जीवन जीता है उसका जीवन हर पल धर्ममय होता है। हमें जीवन के खेत में हमेशा अच्छे बीज बोने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसकी फसल अच्छी आए। संत चन्द्रप्रभ कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें जीवन में सत्संग करना चाहिए क्योंकि अच्छी संगत हमारे जीवन को अच्छी रंगत देती है। सांप के मुंह जाकर जहां कोई पानी की बूंद जहर बन जाती है, वहीं सीप के मुंह जाकर मोती बनने का सौभाग्य प्राप्त कर लेती है। जैसा मित्र होता है आदमी का चरित्र भी वैसा ही बन जाता है। दोस्त वह होता है जो हमारे दोषों को अस्त कर देता है। हमें हमेशा शिष्ट और शालीन लोगों के बीच रहना चाहिए ताकि हमारा जीवन विशिष्ट बन जाए।
संत ने कहा कि हमें जीवन को सामंजस्य बैठाकर जीना चाहिए। जो व्यक्ति बोध और प्रज्ञापूर्वक जीता है उसका जीवन स्वत: साधनामय होता है। जीवन में अगर सुख आए तो हंसकर उसका आनंद ले लो, पर दु:ख आए तो हंसी में टाल दो। विपरीत से विपरीत वातावरण में भी जो व्यक्ति मन को शांत रख सकता है वह आध्यात्मिक जीवन का मालिक होता है। उन्होंने कहा कि हमें दूसरों से ज्यादा अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि अपेक्षा जब उपेक्षित होती है तो मन को बड़ा बुरा लगता है। संतप्रवर ने कहा कि अनुकूलता और प्रतिकूलता दोनों जीवन के हिस्से हैं। सुख और दुख घर के मेम्बर नहीं घर के मेहमान हैं, आज हैं तो कल चले जाएँगे। इसलिए परिर्वतन को प्रकृति का नियम मानकर हर परिस्थिति को सहजता से जीना चाहिए।

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