कवि सेठिया की जयंती मनाई

सेवा भारती समाचार
जोधपुर। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग द्वारा राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कवि कन्हैयालाल सेठिया की 101वी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कर उनकी साहित्य साधना पर चर्चा की गई। राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने कन्हैयालाल सेठिया की लोकधर्मिता को उजागर करते हुए उन्हें राजस्थानी लोककवि बताया। उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया छायावादोत्तर कवियों में प्रगतिशील, विचारों के प्रबल समर्थक सेठिया जन-जन के मन की पुकार और सम्मान प्राप्त करने वाले एक सच्चे लोककवि है। निसंदेह सेठिया ने विश्वस्तर पर राजस्थानी कविता को नई पहचान दी है। इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कन्हैयालाल सेठिया का राजस्थानी साहित्य साधना पर विस्तार से विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह ऐसे शब्द साधक थे जिनका कालजयी साहित्य मरूधरा के शुष्क प्रान्त में अनंत रसधार रूप में गंगा जल की भांति प्रवाहमान है। चिन्तन प्रधान मनस्वी साधक कन्हैयालाल सेठिया राजस्थानी भाषा-साहित्य के पर्याय है, जिन्होंने राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को नई पहचान दी। सेठिया केवल साहित्यकार ही नहीं बल्कि वह एक स्वतंत्रता सैनानी, सामाजिक कार्यकत्र्ता, पर्यावरणविध भी थे। शोध छात्र गौतम अरोड़ा ने सेठिया की काव्य रचना लीलटांस पर तथा जितेन्द्र साठिका ने धरती धोरां री पर अपने विचार रखे। चर्चा गोष्ठी में विभाग के शोधार्थियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।