सफीना व शम्मा चिश्ती ने रखा पहला रोजा

सूर्यनगरी के नन्हे-मुन्हे बच्चे भी रोजे रखने में पीछे नहीं

जोधपुर। सूर्यनगरी नन्हे-मुन्हे बच्चे भी रमजान शुरू होते ही अल्लाह की इबादत में जुट गए है। गुलजारपुरा में रहने वाली सात वर्षीय नन्ही सफीना जिन्दरान पुत्री फिरोज खान ने पहला रोजा रखा। वहीं प्रताप नगर संजय सी कॉलोनी निवासी दस वर्षीय शम्मा चिश्ती पुत्री इरफान चिश्ती ने पहला रोजा रखा और अल्लाह की इबादत की।

वहीं सफीना व शम्मा चिश्ती के पिताजी फिरोज खान व इरफान चिश्ती ने बताया कि रमजान के महिने सफीना व शम्मा चिश्ती अपना पहला रोजा रखा दिनभर अल्लाह की इबादत की। उन्होंने बताया कि सफीना व सम्मा चिश्ती ने परिवार के साथ सुबह जल्दी उठकर सेहरी की व रोजा रखा व दिनभर पांच टाइम की नमाज अदा की। वहीं पहला रोजा रखने पर रिश्तेदारों को मिठाई बांटी। शाम को परिवार के साथ रोजा खोला। सम्मा के दादाजी मुमताज अहमद चिश्ती ने बताया कि माहे रमजान कि फजीलत मे बताया कि खालिके कायनात ने माहे रमजान में रोजा रखने का हुक्म दिया। ताकि हर मोमिन को गरीबी और तंगदस्ती में मुब्तला और भूख-प्यास से बिलकते इंसानों के दर्द व गम का एहसास हो जाए, दिल व दिमाग में जरूरतमंद मुसलामनों की मदद का जज्बा-ए-सादिक पैदा हो जाए और खुसूसी तौर पर मुसलमान रमजान की इबादत की बदौलत अपने आप को पहले से ज्यादा अल्लाह तआला के करीब महसूस करता है। गरज कि महीने भर की इस मश्क का मकसदे खास भी यही है कि मुसलमान सालभर के बाकी ग्यारह महीने भी अल्लाह तआला से डरते हुए जिंदगी गुजारे, जिक्र व फिक्र, इबादत व रियाजत, कुरआन की तिलावत और यादे इलाही में खुद को लगा दे।

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