तस्वीर में ही नहीं, तकलीफ में भी मुस्कुराएं : संत श्री चंद्रप्रभ
संबोधि धाम में मोटिवेशन और मेडिटेशन सेशन का आयोजन
जोधपुर। राष्ट्र-संत श्री चंद्रप्रभ जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आना और नेगेटिव वातावरण बनना संभव है, लेकिन जीवन की बाजी वही जीतता है, जो विपरीत वातावरण में भी धैर्य और शांति को बरकरार रखते हुए मुस्कुरा देता है। तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है, पर जो तकलीफ में भी मुस्कुराले, वो तकलीफ और बाधाओं से पार लग जाता है।
संतप्रवर कायलाना रोड़ स्थित संबोधि धाम में मोटिवेशन और मेडिटेशन सेशन के दौरान साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा पहला धर्म है, हम अपने स्वभाव को शीतल और सॉफ्ट बनाए रखें। न केवल समाज और मित्रों के बीच अपितु अपने घर के लोगों के साथ भी हमें प्रेम और मिठास से पेश आना चाहिए। आदमी महान तब नहीं होता, जब समाज के लोग बोलें, असली महान तब होता है, जब घर के लोग उसे महान समझने लगें। जिंदगी में तब गौरव अनुभव कीजिएगा, जब आपका बेटा आपसे कहे, पापा, बड़ा होकर आप जैसा इंसान बनना चाहता हूँ और कभी अल सुबह आपकी धर्मपत्नी आपके पास आकर कहे कि मुझे गौरव है कि मुझे आप जैसा पति मिला है और सम्मान में आपके गले में माला पहनाएँ।
राष्ट्र-संत ने कहा कि हम केवल अपने शरीर को ही न सजाते रहे क्योंकि शरीर को तो एक दिन मिट्टी में मिल जाना है। सजाना है तो अपनी आत्मा को सजाएँ, क्योंकि इसी को एक दिन परमात्मा के पास जाना है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी इंसान केवल अपने सुन्दर चेहरे से महान नहीं होता अपितु अपने सुन्दर चरित्र से महान होता है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर और बुद्ध, भगवान राम और कृष्ण ये मंदिरों में केवल इसलिए नहीं पूजे जा रहे कि इनका चेहरा सुन्दर था, बल्कि दुनिया उन्हें इसलिए भगवान मानती है क्योंकि उनका चरित्र सुन्दर था। उन्होंने कहा कि सिकन्दर का वैभव सम्मान तो पा सकता है, पर दुनिया में श्रद्धा तो महावीर के त्याग को ही मिलेगी। हम जब भी आईना देखें तो यह मानसिक संकल्प जरूर करें कि भगवान तुमने मुझे जैसा सुन्दर चेहरा दिया है, मैं अपना चरित्र भी वैसा ही सुन्दर बनाउँगा। आदमी के जीवन का निर्माण तब नहीं होता, जब अच्छा दिखना या अच्छा पाना चाहता है। उसके जीवन का निर्माण तब होता है, जब वह अच्छा बनना चाहता है।
संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी में तीन बातें हमेशा याद रखें। 1. कभी किसी का अपमान न रें, क्योंकि जीवन में अशांति और कलह की शुरुआत इसी से होती है। 2. अगर कोई आपका अपमान करे तो उसका बुरा न माने, गाँठ बांधकर न रखें। 3. अगर किसी के द्वारा किये हुए अपमान का बुरा लग गया है तो कभी भी बदले की भावना पैदा न करें, क्योंकि इससे जीवन में सुख-शान्ति खतम हो सकती है और जीवन महाभारत बन सकता है।
इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने सभी को आरोग्य लाभ के लिए सक्रिय योग साधना का अभ्यास करवाया।