प्रतिदिन 3 करोड़ रूपये का तंबाकू उपभोग करते है जोधपुरवासी
युवा पीढ़ी को तम्बाकू से दूर रखने हेतु सामूहिक प्रयास करने की महती आवश्यकता: राजन चौधरी
जोधपुर। युवाओं को नशे से दूर रखना तथा निरोगी राजस्थान अभियान के तहत तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान के क्रम में 25 से 31 मई तक विश्व तम्बाकू निषेध दिवस सप्ताह के आयोजन की निरन्तरता में तम्बाकू मुक्त जोधपुर बनाने हेतु मीडिया कार्यशाला का आयोजन सोमवार को शहर के एक निजी होटल में एसआरकेपीएस द्वारा किया गया। मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए तंबाकू मुक्त राजस्थान अभियान के संयोजक राजन चौधरी ने
कोटपा-2003 का प्रभावी क्रियान्वयन तथा विद्यालयों में तम्बाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देकर युवा पीढ़ी को तम्बाकू मुक्त रखा जा सकता है। राजन चौधरी ने बताया कि जोधपुर के 16 लाख लोगों में से 15 वर्ष से अधिक की आयु वाले 6 लाख लोग प्रतिदिन पान मसाला, गुटखा व अन्य तंबाकू जनित उत्पादों का उपभोग कर 3 करोड़ रुपये प्रतिदिन खर्च करते है। वही प्रतिमाह 90 करोड़ व प्रतिवर्ष 1100 करोड़ रुपये का उपभोग करते है। यदि 10 से 15 वर्ष वाले युवाओं को भी जोड़ दिया जाए तो यह खर्च करीब दोगुना हो जाता है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने हेतु कोटपा-2003 के तहत कार्यवाही व जागरूकता के कार्य किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि हमारी युवा पीढ़ी को तम्बाकू से दूर रखना हमारी प्राथमिकता है, इस हेतु सामूहिक प्रयास करने की महती आवश्यकता है।
राजन चौधरी ने बताया कि विश्व में तम्बाकू उत्पादों के उपभोग से प्रतिवर्ष 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वही भारत में प्रतिवर्ष 15 लाख लोगों की मौत होती है। जबकि राजस्थान में प्रतिवर्ष करीब 80 हजार लोग मौत के शिकार हो जाते है। राजस्थान में प्रतिदिन 220 लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण मौत के आगोश में चले जाते है। उन्होंने कहा कि राजस्थान को तम्बाकू मुक्त राजस्थान बनाने हेतु सभी जिलों में कार्य किये जा रहे हैं। राज्य सरकार के साथ भी एडवोकेसी की जा रही है कि तम्बाकू उत्पादों को बंद करें या फिर शराब की तरह निर्धारित दुकानों के लाइसेंस देकर बेचे जाएं ताकि युवा पीढी को तम्बाकू उत्पादों से दुर रखा जा सके। चौधरी ने बताया कि राज्य में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हो सकता है परन्तु वतर्मान में गत कई वर्षाे से 350-400 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हो रहा है। चौधरी ने एक अध्ययन के आधार पर बताया कि राज्य मे 15 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगो द्वारा करीब 22 हजार करोड़ रूपये का पान मसाला, गुटका व तम्बाकू उत्पादों का उपभोग किया जाता है। प्रतिदिन राज्य में करीब 61 करोड रूपये के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
एसआरकेपीएस कार्यक्रम अधिकारी विकास कुमार ने कार्यशाला में कोटपा—2003 के बारे में विस्तारपूर्वक पीपीटी देते हुए तंबाकू के दूष्प्रभावों के बारे में मीडिया को अवगत करवाया गया। उन्होनें बताया कि संस्था द्वारा तंबाकू नियंत्रण को लेकर लंबे समय से कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एम्स जोधपुर द्वारा किये गये अनुसंधान व अध्ययन के अनुसार 7000 टन कचरा तम्बाकू उत्पादो से होता है। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होने बताया कि तम्बाकू उत्पादों से होने वाले कचरे से 30 लाख प्लास्टिक की बाल्टियां बनाई जा सकती है, 60 हजार पेड बचाए जा सकते है, 32 लाख नोटबुक बनाई जा सकती है तथा एक बोईग विमान 747 का निर्माण करवाया जा सकता है और 3.50 लाख टी शर्ट बनाये जा सकते है। इस कचरे को सम्मिलित प्रयासों से कम किया जा सकता है ताकि पर्यावरण को भी नुकसान ना हो। कार्यशाला के अंत में विकास कुमार ने सभी का आभार प्रकट किया।