‘युग युगीन भारत संग्रहालय’ होगा देश की समृद्ध धरोहर और विरासत का एक प्रमाण : शेखावत

विश्व के सबसे बड़े संग्रहालय के निर्माण के लिए संस्कृति मंत्रालय ने किया विचार-मंथन
Gulam Mohammed, Editor, Seva Bharati News

नई दिल्ली । संस्कृति मंत्रालय ने आगामी युग युगीन भारत संग्रहालय के लिए एक चार-दिवसीय अंतर-मंत्रालयी हितधारक परामर्श और क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया, जिसे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनाया जाना है। यह कार्यशाला 26 से 29 जून तक भारत मंडपम में आयोजित की गई। विचार-विमर्श के अंतिम दिन केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ भारत में फ्रांस के राजदूत डॉ. थिएरी मथौ ने भाग लिया।

इस परामर्श में आगामी युग युगीन भारत (कालातीत और शाश्वत भारत) संग्रहालय पर चर्चा करने के लिए म्यूजियम इकोसिस्टम से जुडे़ व्यक्तियों, जिनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के लोग हैं, को शामिल किया गया। क्षमता निर्माण कार्यशाला का नेतृत्व फ्रांस म्यूजियम के विशेषज्ञों की एक टीम ने किया, जो एक अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परामर्शदाता है।

शेखावत ने इस चार-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला के समापन दिवस पर कहा, यह संग्रहालय भारत की समृद्ध धरोहर और प्रगति की अटूट भावना का एक प्रमाण होगा, क्योंकि यह अपने अतीत से प्रेरणा लेकर एक खाका तैयार करता है। युग युगीन भारत संग्रहालय पारंपरिक संग्रहालय अनुभव से आगे निकलकर समावेशिता की भावना को मूर्त रूप देगा। यह लोगों का संग्रहालय होगा, जो सामुदायिक आख्यान केंद्रित होगा – लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की विरासत का एक प्रमाण।
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में भारत का नया राष्ट्रीय संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसका उद्देश्य नई दिल्ली के रायसीना हिल के क़रीब स्थित भारत के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र का पुनरुद्धार करना है। यह संग्रहालय 1,54,000 वर्गमीटर में फैला होगा, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय बनाएगा। संग्रहालय के लिए वीडियो वॉकथ्रू का अनावरण सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 मई 2023 को संस्कृति मंत्रालय के जीएलएएम (गैलरी, लाइब्रेरी, अभिलेखागार और संग्रहालय) प्रभाग द्वारा आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर किया था और जुलाई 2023 में भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान इसे दोहराया गया था।
इस संग्रहालय को फ्रांस के सहयोग से एडाप्टिव रीयूज के माध्यम से विकसित किया जाएगा, क्योंकि फ्रांस लौवर जैसी समान परियोजनाओं में विशेषज्ञता रखता है, जिसमें फ्रांसीसी वित्त मंत्रालय भी स्थित है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही मित्रता के कारण, फ्रांस इस परियोजना में भारत का भागीदार है और इस मित्रता ने 2020 में दोनों सरकारों के बीच एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने में योगदान दिया था, जिसमें संग्रहालय और विरासत सहयोग पर बल दिया गया है।