मानस रामलीला : ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ का भाव लिए राम ने असत्य को पराजित करने के लिए किया ओजपूर्ण घोष

अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर

वानर सेना ने भरी सेतु बंधन हेतु हुँकार तो शबरी प्रसंग ने दर्शकों के अन्तर्मन को छुआ

दो दिन के अपूर्व उत्साह के बाद आज भी रहेगा मानस रामलीला का रंगमंच हर रस से सराबोर

जोधपुर। “विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।। सागर पार जाने के अनुरोध को तीन दिन बीत गए, लेकिन समुद्र नहीं मानता, तब श्रीराम क्रोधित स्वर में बोले- बिना भय के प्रीति नहीं होती।”
सूर्यनगरी में आयोजित हो रही सम्पूर्ण मानस रामलीला में भगवान श्री राम द्वारा सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचकर समुद्र पार कर लंका जाने हेतु समुद्र देव की पूजा कर सेतु बांधने के बेहद सुंदर मंचन तथा कलाकारों के शानदार अभिनय ने दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया। जब समुद्र देव ने बताया कि राम नाम के सहारे तो पत्थर भी तैरने लगते हैं, तब वानर सेना ने लंका तक पहुँचने के लिए पुल निर्माण कार्य शुरू कर दिया। मानस रामलीला में यह प्रसंग वानरों के लयबद्ध नृत्य और सुंदर गीत-संगीत के साथ शानदार तरीके से प्रस्तुत हुआ।

12 किलो की वेशभूषा पहनता है रावण

निर्देशक जोड़ी अरु – स्वाति व्यास ने बताया कि मानस रामलीला मंचन में पात्रों को जीवंत बनाने में अभिनय कर रहे कलाकारों के साथ उनके विशेष कॉस्ट्यूम्स का बड़ा योगदान है। रावण के हेडगियर का वजन करीब 3 किलोग्राम तथा वेशभूषा का वजन करीब 9 किलोग्राम है।

दर्शकों के हुजूम ने भी बनाया रिकॉर्ड

रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय मानस रामलीला के दूसरे दिवस का भावपूर्ण मंचन देखने को दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कमला नेहरू नगर के आदर्श विद्या मंदिर, केशव परिसर के स्थल प्रांगण में रामलीला का मंचन देखने देर रात तक दर्शक डटे रहे। इसमें 70 प्रतिशत के करीब महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया। अत्यंत वृद्ध महिलाओं और दिव्यांगजनों की उपस्थिति भी कलाकारों का उत्साह बढ़ाने में सबसे आगे रही। इस हाइटेक बहु-मंचीय भव्य श्री संपूर्ण मानस रामलीला की ख्याति का प्रभाव दिनों-दिन जोधपुर शहर ही नहीं बल्कि दूर-दूर के गाँवों और कस्बों में रहने वाले लोगों पर भी दिख रहा है।

मानस रामलीला का हर पात्र छोड़ रहा है जन मानस के हृदय पर एक छाप

एक आदर्श पुत्र के रूप में राम अपने पिता की वनवास की आज्ञा को सहर्ष स्वीकार करते हैं। राजा के रूप में राम ने प्रजा के हित के लिये स्वयं के हित को हेय माना। सीता का पातिव्रत इतना महान है कि उनके दुःखों को महसूस कर दर्शक अपनी आँखों में अश्रुधारा बहाने के लिए विवश हो जाते हैं।
रामायण भातृ-प्रेम का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। जहाँ बड़े भाई के प्रेम के कारण लक्ष्मण उनके साथ वन चले जाते हैं वहीं भरत अयोध्या की राज गद्दी पर, बड़े भाई का अधिकार होने के कारण, स्वयं न बैठ कर राम की पादुका को प्रतिष्ठित कर देते हैं।
हनुमान एक आदर्श भक्त हैं। रावण के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है। इन सब पात्रों के प्रभावी अभिनय से कलाकारों ने प्राण फूंककर उनको कालजयी बना दिया।

आयोजन समिति ने दिनरात एक कर कार्यक्रम को बनाया ऐतिहासिक

सैंकड़ों कलाकारों व पृष्ठभूमि में काम करने वाली सेवाभावी टीम, भामाशाहों व आदर्श विद्या मंदिर के कर्मठ कार्यकर्ताओं व प्रशासन के सपोर्ट के कारण शहरवासियों को रामायण का ऐसा भव्य व अद्भुत स्वरूप मिला है। सनातन संस्कृति की अमूल्य विरासत रामायण जनता के सामने इतने व्यावहारिक कलेवर में आई उसके पीछे एक सम्पूर्ण टीम है जिसने इसे इतिहास के अमिट अक्षरों में लिखवाने में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है।

इन अतिथियों ने बढ़ाया कलाकारों का उत्साह

गुरुवार को श्रीराम लीला मंचन देखने और कलाकारों का उत्साह बढ़ाकर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए विशेष अतिथि रूप में परम पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी सदानन्द महाराज, घनश्याम ओझा, डॉ. आनंद गोयल, डॉ. पुलकित गोयल, डॉ. सुयश गोयल, राजीव मुन्दड़ा, कमलेश धनाडिया, पवन वैष्णव, सुचित भंडारी, कपिल भटनागर, देवेन्द्र जोशी, शिव प्रशाद, एस.एन. भार्गव, ओम प्रकाश गहलोत, तारा सिंह साँखला, विक्रांत गुप्ता, विनीत माथुर, विजय पुंगलिया, मदनमोहन लोहिया, सागर जोशी, पप्पू राम डारा, विनोद जोहरी, प्रकाश जीरावला, शैलाराम सारण, एस.एस. शेखावत, रवि भाई महाराज, अश्विनी गुर्जर, डॉ. प्रताप सिंह राठौड़, डॉ. प्रीतम सिंह, श्रीपाल लोढ़ा, विष्णु गोयल, हरीश अग्रवाल, पारस जैन कवाड़, रावल जैन, मुकुल गुप्ता, जितेन्द्र खंडेलवाल, पुनाराम जाँगिड़, मानाराम विश्नोई, पूरणमल शर्मा, विक्रांत गुप्ता, जगदीश सिंह राजपुरोहित, महेश पुरोहित, पीयूष डोसी, भरत राम कुम्हार, जी. जी. भार्गव, जितेन्द्र कच्छवाह, राजेश जी, शिल्पी शर्मा, मनीष मंडा तथा रोहित भण्डारी मौजूद रहे।

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