ख्वाजा अब्दुल लतीफ़ शाह का उर्स कुल की रस्म के साथ संपन्न

अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर

जोधपुर। सूफी संत ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह साहिब नज़मी सुलेमानी चिश्ती अल फारूकी रहमतुल्लाहि अलैह का 122 वा उर्स अकीदत व एहतराम के साथ आज सुबह कुल की रस्म के साथ संपन्न हुवा, उर्स के आखरी दिन अकीदतमंद जायरीन का सैलाब दरगाह की तरफ उमड़ पड़ा।
दरगाह प्रवक्ता अमजद खान ने बताया कि ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह साहिब नज़मी सुलेमानी चिश्ती अल फारुकी रहमतुल्लाहि अलैहि का सात दिवसीय उर्स पीर मोहम्मद नजमुल हसन अल लतीफी व पीर मोहम्मद अबुल हसन मिनाई की सरपरस्ती में अकीदत व एहतराम के साथ सम्मपन हुवा। रविवार को आम लोगों के लिए दाल और मिठे चावल का लंगर का इंतजाम किया गया। दरगाह पर चादर पेश होने का सिलसिला जारी रहा ।

जिसमें सूफी पीर युनुस बिस्मिल और कौम शेख सय्यद मुगल पठान विकास संस्थान की जानिब से मजार शरीफ पर चादर पेश की गई, बाद नमाजे ईशा महफील खाने में मिलाद ए मुस्तफा के बाद जुबैर अजमेरी ने सूफी कलाम पेश किए, इरफान तूफैल, शौकत अंदाज, तौफीक रोशन, जफर आमीन, फिरोज साबरी और शरफुद्दीन नाईमुद्दीन नागौर ने अमीर खुशरों का मशहूर कलाम “आज रंग हे हे–मा रंग हे” कलाम के साथ कुल की रस्म अदा की गई, देर रात तक चले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और वॉलेंटियर की दस्तारकर सम्मान किया।
समाचार लिखे जाने तक कुल की रस्म जारी थी बड़ी संख्या में जायरीन कुल की रस्म में शरीक हुए, रस्में कुल से पहले पीर बैतुल्लाह मिनाई, सय्यद मोह्यूद्दीन अशरफी, सय्यद वसीम अहमद, सय्यद नूर मिया अशरफी, मौलाना अबुल कलाम नूरी, हाफिज रिजवान नूरी, पीर कमरूल हसन मिनाई, पीर इस्हाक साहब, पीर अब्दुल रज्जाक मिनाइ, पीर वाहिद मीनाई, अय्यूब मिनाई, अय्यूब खान दिल्ली, जलालुद्दीन पठान राजू साहब, जियाउद्दीन खान, हासीब हुसैन चिश्ती, सोनू खान, राजा चिश्ती, अब्दुल सत्तार चिश्ती, साबिर चिश्ती, कुदरतउल्लाह चिश्ती, हमीद मिनाई, मास्टर मोहम्मद हसनैन, इमरान बागवान, सुभाष गहलोत, कुदरतउल्लाह आदिल चिश्ती, नौशाद चिश्ती, सोयल चिश्ती, असलम मिनाई, नईम मिनाई, शहजाद बैग, छोटू भाई, साजिद बा, वाजिद बा, अनीस, समीर, अमान खान, समीर ऑप्टिकल की दस्तारबंदी की गई तथा इनके अलावा कई गणमान्य प्रबुद्धजन एवं जायरीन उपस्थित रहे। दरगाह सज्जादानशीन पीर नजमुल हसन लतीफी ने प्रदेश और देश की तरक्की, प्रेम सौहार्द, सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहने की दुआ के साथ ही उर्स समाप्ति की विधिवत घोषणा की गई।