मारवाड़ की बलिदानी गाथा का नाम है गोरां धाय
जोधपुर। स्थानीय मिनी ओडिटोरियम में जसधारी गोरां धाय के बलिदानी पर हुई संगोष्ठी में मारवाड़ के पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि राजस्थान का कण कण बलिदानी है और इसकी बलिदानी शौर्य गाथाएं संसार में प्रचलित है इतिहास के जिन पृष्ठों में गोरां धाय का नाम अंकित है वह मारवाड़ के लिए आतंककाल के ऐसे संकटपूर्ण काल खण्ड में जसधारी गोरां धाय के बलिदान ने मारवाड़ का नाम इतिहास के पृष्ठों में उज्जवल किया है। आगे बढ़ते हुए इस समाज को पीछे मूडक़र अपने इतिहास के नर-नारियों की तरफ भी झाकना चाहिए। यह ही हमारे पूर्वजों को सही श्रद्धांजलि होगी इतिहासविद् प्रोफेसर जहूर खां मेहर ने इतिहास के पृष्ठों को खंगालते हुए कहा कि गोरा धाय का बलिदान तत्कालीन समय में सबसे उच्चा है किंतु एक पूरा नारी वर्ग उस वक्त बालक राजा अजीत सिंह को बचाने के लिए आगे रहा है जिसमें गोरां धाय का नाम मुकुट मणि की तरह चमक रहा है तत्कालीन संकटपूर्ण पन्नों में जिन नारियों के समूह ने अपने कत्र्तव्य का पालन किया था। अपने पुत्र की बलि देकर गोरां धाय ने मानवता का नाम ऊचा किया। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र गहलोत ने गोरां धाय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मारवाड़ में समाज का नाम रोशन करने वाले कई ख्खात नाम व्यक्तित्व हुए है जिन पर आज काम करने की जरूरत है गोरां धाय पर पुस्तक लिखकर आनंद सिंह परिहार ने समाज के लिए प्रेरणादायक कार्य किया है। कवि आलोचक आईदान सिंह भाटी ने हिन्दी और राजस्थानी साहित्य की परम्परा में नारियों की बलिदान गाथाओं को रेखांकित किया और कहा कि गोरां धाय का बलिदान इतिहास में किस तरह रेखांकित होना चाहिए वैसा नहीं हो पाया है राजस्थान के लोक में पहुंचाने के लिए इस प्रकार आयोजनों की महत्ती जरूरत है।
समारोह की अध्यक्ष डॉ ओमकुमारी गहलोत ने कहा कि समाज में आज स्त्री चेतना की महत्ती जरूरत है। ऐसे कालखण्ड में जब मानवता विपदा ग्रस्त थी तब गौराधाय ने अपने बलिदान द्वारा हमारा सिर ऊँचा किया है। समाज को चाहिए कि प्रतिवर्ष ऐसी बलिदानी नायिका को याद करे और पीढीयों के हाथों में एक उज्जवल ख्याति सौंपे।
समारोह के प्रारंभ में डॉ भरत देवड़ा ने पधारे हुए अतिथियों व श्रोताओं का स्वागत किया। पुस्तक के लेखक आनंद सिंह परिहार ने कलकता, सीतामहू (मंदसौर), बीकानेर, इलाहाबाद आदि यात्राओं के संदर्भ में जानकारी दी। कुलदीप सिंह देवड़ा ने आभार ज्ञापित किया। समारोह का संचालन कवयित्री मधुर परिहार ने किया।