युद्ध पतन का कारण: गोविंददेव गिरी महाराज

जोधपुर। माहेश्वरी जनोपयोगी भवन में चल रही सात दिवसीय महाभारत संदेश कथा के पांचवे दिन संत स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने कहा कि परमार्थ भी पुरूषार्थ के साथ करना चाहिए, परमार्थ आनंद यात्रा है मन आंनद रहित नहीं होना चाहिए।
महाराज ने कहा कि धृतराष्ट्र की विवेक बुद्धि नष्ट हो गई, युद्ध पतन का कारण है। व्रत जीवन के उत्थान के लिए होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन योजनाबद्ध होना चाहिए। हमारे यहां हर स्त्री को देवी माना गया है, इसलिए स्त्री का अपमान ना कर उसकी पूजा करनी चाहिए। महाराज ने महाभारत के वेदव्यास भगवान द्वारा संस्कृत के श्लोकों के साथ कथावाचन किया। महाराज ने कहा आज के युग में बच्चों को बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए तथा बच्चों को भी बार-बार टोकना नहीं चाहिए, बच्चों की जिज्ञासाओं को ज्ञान, विवेक व संस्कार के माध्यम से शांत करना चाहिएं। द्रोपदी चीरहरण को विस्तार से समझाया तो श्रद्धालु भावुक हो गये। साथ ही सत्यवान सावित्री उपख्यान, यज्ञ युधिष्ठर प्रश्न, अज्ञातवास में कीचक वध, अर्जुन का अदभुत पराक्रम, अभिमन्यु उत्तरा विवाह आदि प्रंसग पर कथा की।
प्रवक्ता भंवरलाल बाहेती ने बताया कि कथा के प्रारंभ में आयोजक मोहनलाल भंवरलाल सोनी परिवार ने व्यास पीठ की पूजा की। आरती में गिरीश सोनी, प्रेमसुख सोनी, चेतनलाल सोनी, प्रकाश सोनी, राहुल सोनी, बाबूलाल उपाध्याय, ओम मर्दा, ओम कोठारी, मगनीराम डागा ने की। इस अवसर पर शहर विधायक मनीषा पंवार, दामोदरलाल बंग, मुरलीधर चांडक, रमेश जैन, धनराज चांडक, रमेश सोमानी, सोहन मंत्री, नरेंद्र अवस्थी, डॉ. फूलकौर मूंदडा सहित बडी संख्या में भक्तजनों ने भाग लिया।

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