नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
– आठवें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ
जोधपुर। श्रीमती राम कंवरी कच्छवाहा धर्मपत्नी स्व. श्री जेठूराम जी कच्छवाह, धर्माथ सेवा संस्थान रजि. व श्री सालासर बालाजी प्रचार एवं सेवा समिति रजि., किसान नर्सरी कच्छवाह परिवार के संयुक्त तत्वावधान में रॉयल्टी नाका के पास प्रताप नगर में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन नंदोत्सव के रूप मनाया गया इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आयोजक पन्नालाल कच्छवाह, ताराचन्द कच्छवाह, प्रभुलाल कच्छवाह, मगराज कच्छवाह ने बताया कि प्रताप नगर में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की आकर्षक झांकी भी सजाई गई। नंदोत्सव में श्रद्धालुओं ने भजनों पर जमकर नृत्य किया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर कपड़े, खिलौने, बधाईयां आदि भेंट किये। मिठाई बांटी गई।
सर्व पू. श्रद्धेय सुनीलजी महाराज ने कथा श्रवण करते हुए श्री कृष्ण भगवान की बाल लीला की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भागवत कथा गुणों की खान है। इसमें बतलाएं गए मार्ग पर चलते हुए हम संासारिक मोह से छुटकारा पा कर भगवान की कृपा के पात्र बनते हैं। इस दौरान नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की आदि भजनों पर श्रोताओं ने जमकर झूमें। इस दौरान कई सजीव झांकी सजाई गई। भागवत कथा में भगवान के जन्मोत्सव को लेकर मंच को फूलों की माला और गुब्बारों से विशेष रूप से सजावट की गई। इस विशेष दिन को लेकर श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ रही। कथावाचक सुनील जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा सुनाते हुए कहा कि बाल गोपाल का जन्म देवकी और वासुदेव के आठवें संतान के रूप में होता है। देवकी व वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है और वासुदेव का अर्थ है जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों की बेडिय़ों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है। बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उसे संसार सागर से मुक्त करा दिया करते हैं। सुनील जी महाराज ने कहा कि हर मनुष्य के जीवन में छह शत्रु हैं, काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ व अहंकार। जब हमारे अंदर के ये छह शत्रु समाप्त हो जाते हैं तो सातवें संतान के रूप में शेष जी जो काल के प्रतीक हैं वो काल फिर मनुष्य के जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योग माया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। तब आठवें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का अवतार होता है। जिसके जीवन में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति आ गई तो ऐसा समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया। कथा के बीच में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की आकर्षक झांकी भी निकाली गई। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर पेश किए गए भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया। नंदोत्सव ऐसा महान उत्सव है जो नित्य ही भगवान के प्यारे भक्त देह और गेह की सुध भुलाकर अपने ही मनमंदिर में मनाते हैं। ऐसे प्यारे भक्तों के वश में बाल कृष्ण लाल होकर वात्सल्य संदेह प्रदान करते है।