उर्स में जायरीनों ने पेश किए अकीदत के फूल
जोधपुर। आफताबे जोधपुर हजऱत ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह रहमतुल्लाहि अलैहि के सालाना उर्स के अन्तिम दिन लंगर में बड़ी संख्या में अकीदतमन्दों ने भाग लिया। उर्स के आखरी दिन और कुल रस्म की वजह से बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह पहुंचे। दरगाह नाजि़म पीर कारी अबुल हसन मीनाई चिश्ती ने बताया कि शाहे विलायत ख्वाजा अब्दुल लतीशाह चिश्ती के 117वें सालाना उर्स के मौके पर पहले दिन से ही जायरीन का मजमा हर वक्त लगा रहा। जायरीन ने अकीदत के फूल पेश किए और कव्वालियों का लुत्फ भी उठाया। उर्स में बड़ी संख्या में जोधपुर के बाहर से भी जायरीन आए। शुक्रवार होने के कारण जुमा की नमाज़ में भी अक़ीदतमंन्दों ने भारी संख्या में दरगाह पर हाजऱी दी। आखरी दिन उत्तरप्रदेश देवा शरीफ के मशहूर कव्वाल शहाब वारसी कव्वाल पाटी और इनके अलावा जोधपुर के स्थानीय कव्वालों ने भी प्रस्तुति दी। जायरीन ने शानदार कव्वालियों का लुत्फ उठाया।प्रवक्ता अमजद खान ने बताया कि उर्स के आखरी दिन कुल की रस्म अकीदत व एहतराम से अदा की गई। सलातो सलाम के बाद तबर्रूकात तक्सीम किया गया। इससे पहले विशेष अतिथियों और उर्स में अच्छी सेवाएं देने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। कुल की रस्म में पार्षद छोटू खां, सय्यद नूर अशरफ़ी, सय्यद वसीम अहमद, मौलाना अबुल कलाम, आरिफ खान, अय्यूब खान जामिया, अब्दुरज्ज़ाक मीनाई, अय्यूब मीनाई, शहजाद बेग, नईम मीनाई, मास्टर हसनैन साहित भारी संख्या में अकीदतमन्द उपस्थित थे। पीर यूनुस बिस्मिल और फ़तेहपुर नजम सरकार की दरगाह से आई हुई चादर मज़ार पर पेश की गई। कुल की रस्म सम्पन्न होते ही दरगाह नाजि़म पीर अबुल हसन मीनाई ने 117वें सालाना उर्स की समाप्ति की घोषणा करते हुए सामुहिक दुआ कराई। देश में अमन शान्ति आपसी प्रेम सौहार्द के लिए दुआ की गई।