स्वामी भक्ति का उदाहरण थे बल्लू चाम्पावत: लखावत
जोधपुर। चाम्पावत सेवा सोसायटी के तत्वावधान में चाम्पावत राठौड़ वीरों की शौर्य गाथा सम्मेलन महामंदिर स्थित पीलवा हाऊस गार्डन में समारोहपूर्वक आयोजित हुआ। समारोह में चाम्पावत राठौड़ के राव चाम्पा, राव बल्लू व आऊवा के कुशालसिंह चाम्पावत की शौर्य गाथाओं पर विशेष प्रकाश डाला गया।
समारोह के अध्यक्ष राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति आयोग के पूर्व अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने चाम्पावत राठौड़ के प्रमुख राव चाम्पा के शौर्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चाम्पावत राठौड़ वंश में अनेक वीर पुरुष हुए जिन्होंने अपने शौर्य व स्वाभिमान से इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि राव बल्लू की यश गाथा को प्रकाशित करे तो दिल्ली की दूरी उस पुस्तक के पन्नों से कम पड़ जाये। बल्लू चाम्पावत स्वामी भक्ति का उदाहरण थे जिसमें शाहजहां के दरबार से राव अमरसिंह के शव को अपूर्व शौर्य का प्रदर्शन कर लेकर आये। उन्होंने कहा कि नागौर के राव अमरसिंह राठौड़ ने शाहजहां के सम्मुख सलावत खां का सिर काटकर अपनी वीरता व स्वाभिमान का परिचय दिया वही उनकी आगरे के किले में लड़ते हुए मारे जाने पर उनके शव को वीरता के प्रदर्शन के साथ लेकर किले से कूदकर शव उनकी पत्नी तक पहुंचाना अत्यन्त पराक्रम का प्रदर्शन था। उन्होंने कहा कि इन दोनों वीरों का स्मारक आगरा में बनाया जाना चाहिए। समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त आयुक्त वाणिज्य कर विभाग शक्तिसिंह राठौड़ ने कहा कि चाम्पावत क्षत्रियों का 600 वर्षों का इतिहास है। हमारे वीरों की गाथाओं को स्मरण करने की आवश्यकता हैं, संस्कृति इतिहास का अहम हिस्सा होता है। पूर्व कुलपति व शिक्षाविद् प्रो. एलएस राठौड़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि इतिहास में क्षत्रिय वीरों चाम्पावत राठौड़ के वीरता के अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं। अद्वितीय पराक्रम व शौर्य की गाथाऐं देखने व पढऩे को मिलती हैं। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी महेन्द्रसिंह चाम्पावत गंठिया, चौपासनी शिक्षा समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थसिंह रोहिट़, पूर्व विधायक समरजीत सिंह दासपा, मानसिंह कानोता, मारवाड़ राजपूत सभा अध्यक्ष हनुमानसिंह खांगटा, इन्द्रसिंह बागावास, भवानीसिंह धांधिया, किशोरसिंह पीलवा, आरएएस जयपालसिंह रणसीगांव, एसडीएम महावीरसिंह जोधा, सूरज कंवर व वासुदेव महाराज भी उपस्थित थे। प्रारंभ में पुलिस उप अधीक्षक राजवीरसिंह बामणू ने स्वागत उद्बोधन दिया व नरेन्द्रसिंह ढीढस ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। डूंगरदास आसिया ने काव्य पाठ किया।समारोह में समाज में उल्लेखनीय कार्यों के लिए ओंकारसिंह लखावत, प्रो. एल.एस. राठौड़, शक्तिसिंह राठौड़, मानसिंह कानोता, भवानीसिंह धांधिया, इन्द्रसिंह बागावास का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया।विशिष्ट उपलब्धियों के लिए विशालसिंह धांधिया, प्रदीपसिंह धामली, पद्मसिंह सोवनिया, ओंकारसिंह भाटी, शंभूसिंह मेड़तिया, घनश्यामसिंह गंठिया, हर्षिता चाम्पावत, भोमसिंह देणोक, जब्बरसिंह, कृष्णकुमार सिंह बागावास, जसवन्तसिंह चाम्पावत, करणसिंह देणोक, शिवमंगल सिंह, महेन्द्रसिंह राठौड़, भूपेन्द्रसिंह गंठिया, गोविन्दसिंह पीलवा, श्रवणसिंह चाम्पावत, नरेन्द्रसिंह रणसीगांव, राजवीरसिंह बामणू, डूंगरसिंह कापरड़ा सरपंच, छैलसिंह ढीढस, भैरूसिंह रणसीगांव, कुंभसिंह बामणू, जयसिंह नारनाड़ी, भैरूसिंह पीलवा, लेफ्टिनेंट कर्नल अभिमन्युसिंह गंठिया, शिवदास गंठिया, राजेन्द्रसिंह गंठिया, भंवरसिंह बागावास, बख्तावरसिंह नारनाड़ी, जितेन्द्रसिंह आऊवा, जुंझारसिंह पीलवा, गंगासिंह पीलवा, परीक्षितसिंह चाम्पावत, किशोरसिंह पीलवा, छत्तरसिंह झीतड़ा, दुर्गादास गंठिया व गोविन्दसिंह पीलवा का सम्मान किया गया।