पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी बच्चे पहली बार राष्ट्रीय कराटे और खेल प्रतियोगिता में होंगे शामिल

अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर

जोधपुर। जोधपुर में एक शरणार्थी कॉलोनी के 15 पाकिस्तानी हिंदू बच्चे पहली बार राष्ट्रीय स्तर की कराटे और खेल प्रतियोगिता में भाग लेंगे। यह प्रतियोगिता 24 और 25 जनवरी 2025 को जयपुर में आयोजित होगी, पूरे देश से सैकड़ों छात्र हिस्सा लेते हैं। इस प्रतियोगिता में चयनित बच्चों की उम्र 12 से 14 साल है। इनमें से आठ लड़कियां हैं। इनकी ट्रेनिंग का नेतृत्व मार्शल आर्ट 4 डैन ब्लैक बेल्ट रह चुके सेना प्रशिक्षित कोच भारत पन्नू कर रहे हैं। पन्नू को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए 13 साल का कोचिंग अनुभव है। यह प्रशिक्षण दिल्ली की संस्था सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन के तत्वावधान में चलाए जा रहे कार्यक्रम का हिस्सा है।

कोच भारत पन्नू ने कहा कि शरणार्थी बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका देना एक बड़ी उपलब्धि है। यह पहली बार हो रहा है और मैं इसका हिस्सा बनकर गर्व महसूस करता हूं। खेल कराटे स्कूल गेम्स नामक इस प्रतियोगिता का यह तीसरा एडिशन है। ये बच्चे जोधपुर के पास स्थित गंगाणा गांव की भील बस्ती में रहते हैं। इस बस्ती की आरती भील (14 साल) के पिता देहराज भील ने 2013 में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए परिवार के साथ भारत आने का कठिन फैसला लिया। उन्होंने बताया: “पाकिस्तान में हिंदू होने के कारण हमें कभी न्याय नहीं मिला। मेरे बड़े भाई की हत्या के बाद हमें लगा कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए भारत आना जरूरी है।”

सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन की भूमिका
सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन ने अप्रैल 2023 में शरणार्थी बस्ती में 70 झोपड़ियों के विध्वंस के बाद इन परिवारों के पुनर्वास का कार्य किया था। बेघर शरणार्थियों के लिए नए घर बनाने के बाद संस्था ने बच्चों के लिए शिक्षा केंद्र शुरू किया, जिसमें संवाद, रोबोटिक्स, आत्मरक्षा और गणित की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा 200 से अधिक बच्चों को बाजरा आधारित पौष्टिक भोजन रोजाना उपलब्ध कराया जाता है।
सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन के संस्थापक संजीव नेवर ने कहा कि “खेल और कराटे ने इन बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाया है। ये बच्चे भारत में सम्मान और विकास के अवसर के हकदार हैं।” सह संस्थापक व पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि हम शरणार्थियों को सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि सम्मान और आगे बढ़ने के अवसर देना चाहते हैं। यह कार्यक्रम उनके बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहा है।

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