गहलोत की ईआरसीपी में मात्र तीन जिलों को पानी : शेखावत

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत मुख्यमंत्री पर हुए हमलावर

अलवर। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमलावर रहे। उन्होंने ईआरसीपी और संजीवनी प्रकरण सहित राज्य सरकार की विफलताओं पर खुलकर बोला। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार ईआरसीपी के नाम पर केवल राजनीति कर रही है। मुख्यमंत्री गहलोत जिस योजना को ईआरसीपी कह रह रहे हैं, वह केवल जयपुर, टोंक और अजमेर को पानी पिलाने की योजना है। इसमें अलवर सहित शेष दस जिलों को पानी नहीं मिलेगा। शेखावत ने कहा कि संजीवनी प्रकरण में मेरी तीन पीढ़ियों का कोई संबंध नहीं है। किसी अदालत ने मुझे कभी भी अभियुक्त नहीं बनाया और न ही मैंने कभी जमानत ली, जबकि मानहानि प्रकरण में दिल्ली की अदालत ने मुख्यमंत्री को अभियुक्त माना है और उन्हें पेशियां भुगतनी पड़ रही हैं।
शेखावत ने अलवर प्रवास के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत की। शेखावत ने ईआरसीपी के मुद्दे पर कहा कि इस मामले में गहलोत दस जिलों को प्यासा मारने का पाप कर रहे हैं। ईआरसीपी के मामले में मैं चुनौती देता हूं कि राजस्थान सरकार किसी भी काबिल अफसर को लेकर आए खुली बहस करे, मैं सिद्ध कर दूंगा कि गहलोत सरकार ईआरसीपी के मामले में राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान के इन 13 जिलों में राज्य की कुल आबादी के 40 प्रतिशत लोग रहते हैं। गहलोत सरकार की राजनीति के चलते इन 13 जिलों की जनता त्रस्त और बदहाल है और यह महत्वाकांक्षी परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। शेखावत ने बताया कि वर्ष 2004 से पहले अटल जी की सरकार के समय में नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की परिकल्पना की गई थी। उस समय देश में 31 लिंक चिह्नित किए गए थे। उनमें से एक पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच भी चिह्नित हुआ था, लेकिन राजस्थान की असहमति के कारण से उस लिंक को उसी समय स्थगित कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2004-14 तक केंद्र में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय इस पर विचार या काम नहीं हुआ। वर्ष 2014 में मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस वापस विचार करना प्रारंभ हुआ। वर्ष 2016 में वसुंधरा राजे सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना के विषय में विचार किया और वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए दिया, लेकिन राजस्थान ने देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली। वसुंधरा जी की सरकार के समय ही सीडब्ल्यूसी ने इसे सही करके बनाने के लिए कहा। दुर्भाग्य से सरकार बदली और उसको दुरुस्त करने का अवसर नहीं मिला।
पुत्र की हार से बौखलाहट में मेरा नाम ले रहे गहलोत
शेखावत ने कहा कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी या देश की किसी भी सोसायटी में मेरी तीन पीढ़ियों के सदस्यों का कोई लेना-देना नहीं है। न पदाधिकारी है और न ही प्रमोटर है। मुझे जबरदस्ती इसमें फंसाने की कोशिश की जा रही है। गहलोत अपने पुत्र वैभव की हार का बदला लेने के लिए मुझे बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। जब तक मेरा नाम था, मैं चुप रहा, लेकिन मेरी मां का नाम घसीटने लगे, तब मैंने दिल्ली की कोर्ट में केस किया। अदालत ने मानहानि प्रकरण में अशोक गहलोत को प्रारंभिक रूप से दोषी मानते हुए समन किया है। इस प्रकरण में अदालत ने उनको अभियुक्त घोषित किया हैं। मैं अभी किसी मामले मे अभियुक्त नहीं हूं। उनको अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा और जमानत लेनी पड़ेगी।
सामूहिकता के आधार पर होगा टिकट का फैसला
शेखावत ने कहा कि भाजपा में टिकट का फैसला सामूहिकता के आधार पर लिया जाता है। कोर कमेटी और फिर स्क्रीनिंग कमेटी सहित कई चरणों में चर्चा होने के बाद निर्णय लिया जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा विचार आधारित पार्टी है। मैं उसका निष्ठावान सदस्य। मुझे जो भी काम सौंपा जाएगा, उसे पूरी निष्ठा और ऊर्जा से करूंगा।
जल जीवन मिशन में सबसे कम काम प्रदेश में
शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन में जब काम शुरू हुआ तब देश के सोलह प्रतिशत घरों में नल आता था, अब हमने दो तिहाई घरों में पानी पहुंचा दिया है, लेकिन अफसोस है कि राजस्थान सरकार को सबसे ज्यादा संसाधन व बजट देने के बावजूद काम धीमी गति से हुआ। राजस्थान नीचे से तीसरे पायदान पर है। मिशन में घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं।
राज्य में महिलाएं नहीं सुरक्षित
शेखावत ने कहा कि 2018 में चुनाव से पहले कांग्रेस के संकल्प पत्र में महिला सुरक्षा को लेकर कई बातें हुईं, लेकिन उन पर कोई काम नहीं हुआ, बल्कि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ते चले गए। राजस्थान को रेप की कैपिटल बना दिया। मुख्यमंत्री रिश्तों को बदनाम करते हुए कहते हैं कि रिश्तेदार रेप करते हैं। इनके वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल कहते हैं कि राजस्थान मर्दों का प्रदेश है, इसलिए रेप हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार के राज में न महिलाएं सुरक्षित हैं, न सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी सुरक्षित हैं। सरकार की प्राथमिकता केवल कुर्सी बचाने की है। किसान बर्बाद हो रहे हैं, युवा बेहाल हैं। पेपर लीक हो रहे हैं। पहले गहलोत कहते थे कि इसमें कोई अधिकारी और नेता लिप्त नहीं है। अब मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता भी जेल में हैं और अधिकारी भी जेल में है। यदि सही ढंग से जांच हुई तो कई और लोग जेल जाएंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भ्रष्टाचार चरम पर है। तुष्टिकरण चल रहा है। सांप्रदायिक ताकतों के हौसले बढ़े हैं। इसकी परिणीति कन्हैयालाल की नृशंस हत्या के रूप में हुई।
बिजली संकट गहरा रहा
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बिजली का संकट गहरा रहा है। दस-दस घंटे तक बिजली कटौती। किसान परेशान हैं। कई जिलों में किसान धरने पर हैं। इस बदहाली में भी सरकार राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को खिलवाड़ कर रही है।