55 वर्षों से हवा में लटके हैं दो खंभे, विज्ञान भी नहीं ढूंढ पाया जवाबजोधपुर के पास स्थित तनोट राय माता मंदिर बना आस्था और चमत्कार का केंद्र

अधिस्वीकृत पत्रकार व प्रधान संपादक गुलाम मोहम्मद

जोधपुर । धर्म और अध्यात्म की नगरी जोधपुर अपने ऐतिहासिक मंदिरों और धार्मिक आस्था के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। ऐसे ही एक मंदिर की चर्चा इन दिनों भक्तों के बीच विशेष रूप से हो रही है, जो चमत्कार और विश्वास दोनों का प्रतीक बन चुका है।

शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बोरानाडा-डोली रोड पर स्थित है तनोट राय माता मंदिर, जहां दो खंभे पिछले 55 वर्षों से बिना किसी सहारे के हवा में लटके हुए हैं। मंदिर में कुल आठ खंभे हैं, लेकिन इनमें से दो खंभे आज भी ज़मीन को नहीं छूते।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना तब सामने आई जब एक भक्त के मन में माता की उपस्थिति को लेकर शंका उत्पन्न हुई। अगली सुबह जब वह मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि दो खंभे ज़मीन से ऊपर उठे हुए हैं। तब से आज तक ये खंभे बिना किसी तकनीकी सहारे के हवा में टिके हुए हैं।

इंजीनियरों और वैज्ञानिकों द्वारा कई बार जांच की गई, लेकिन कोई ठोस तकनीकी कारण सामने नहीं आ पाया। इस रहस्य को अब तक विज्ञान नहीं सुलझा पाया है। मंदिर आने वाले श्रद्धालु इसे माता का चमत्कार मानते हैं और इसे लेकर उनकी आस्था और भी गहरी हो गई है।

बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना वर्ष 1971 में पीडब्ल्यूडी के ए क्लास ठेकेदार शिवराम नत्थू टाक द्वारा की गई थी। टाक साहब को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए थे, जिसके बाद वे जैसलमेर के प्रसिद्ध तनोट माता मंदिर से ज्योत लाकर जोधपुर में इस मंदिर की स्थापना की।

मंदिर से जुड़ा एक दुखद प्रसंग वर्ष 2017 में सामने आया, जब आग लगने से पुरानी मूर्ति खंडित हो गई। इसके बाद नई प्रतिमा बनवाकर विधिवत रूप से प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई।

आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। जो लोग जैसलमेर नहीं जा पाते, वे यहां आकर मन्नतें मांगते हैं। खास बात यह है कि भक्त मंदिर के उन दो खंभों के नीचे से कपड़ा निकालकर अपने पूजा घर में रखते हैं, इस विश्वास के साथ कि माता की कृपा उनके परिवार पर बनी रहेगी।

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