संस्कृति और साहित्य के लिए भाषा की भूमिका प्रमुख
जोधपुर। मातृभाषा दिवस पर लॉयंस क्लब जोधपुर मातृशक्ति के सदस्य एकजुट हुए। अध्यक्ष कुसुमलता परिहार ने बताया कि लॉयंस क्लब जोधपुर मातृशक्ति के सदस्य आज अशोक उद्यान में राजस्थानी वेशभूषा में एकजुट हुए। इस अवसर पर मायड़ भाषा राजस्थान के समृद्ध संस्कृति विरासत और गौरवमयी परंपरा को संजोए रखने के लिए व अपणायत की अपनी मायड़ भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए संकल्प लिया। पूर्ण रूप से राजस्थानी वेशभूषा में आने वाले सदस्यों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार दिया। कार्यक्रम में अध्यक्ष कुसुमलता परिहार ने कहा कि म्हारी भाषा म्हारो गौरव मां, मातृभूमि एवं मातृभाषा तीनों का स्थान अति माननीय है क्योंकि यह तीनों हमें आकार आधार एवं अस्तित्व प्रदान करते हैं संस्कृति और साहित्य के सहयोग के लिए वहां की भाषा की भूमिका प्रमुख होती हैं। हमारी मायड़ भाषा 13 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती हैं लेकिन विडंबना यह है कि आजाद भारत में राजस्थान वासियों को मातृभाषा को भारतीय संविधान में मान्यता नहीं। राजस्थानी को मान्यता देने के कई ऐसे प्रमाण हैं दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोष ढाई हजार वर्षों का इतिहास साढे तीन लाख हस्तलिखित व 25000 प्रकाशित ग्रंथ आदि इस भाषा की विशेषता है। पाठ्यक्रमों में राजस्थानी साहित्य और संस्कृति को तो शामिल किया पर राजस्थानी भाषा को हटा दिया जहां भाषा के बिना ही कला और संस्कृति को पढ़ाया जाता है।इस दौरान माइक्रो चेयरपर्सन जेपी व्यास, सचिव कुसुमलता राठौड़, उपाध्यक्ष प्रियंका सिंह चौहान, पीआरओ जयासिंह कंवर, आरती सोलंकी, राजेश व्यास, माया गहलोत, पूनम पारीक, सहीराम विश्नोई नरपत बेनीवाल, केवलराम, अमनसिंह कुलेरिया आदि उपस्थित थे।